Book Title: Vajsaney Samhita Mantranamkaradya Anukramanika Author(s): Publisher: View full book textPage 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अ. मं० / अ.का. संहि. अ० म० अयम्पश्चाद्विश्वव्य॑चात अर्द्धमासापरूपि.... 23 41 अष्टादन्दशूकाएं ..... स्यस्थप्रोतलं .... .... अर्मेब्भ्योहस्तिपतम् .... 30 11 अवौचामकवये.... .... अयम्पुरोभुवः.... 13 54 अर्यमणम्बृहस्पतिम् .... 927 अश्मन्नूजम् .... .... / अयम्पुरोहरिकेशर 15/ 15 अर्वाञ्चोऽअद्या .... .... 33 51 अश्म॑न्वतीरीयते अयवाम्मित्रावरुणा 7 9 अवतत्यधनुष्टम् ..... 16 13 अश्माचमे अयंवेन... ..... 7/16 अवपतन्तीरवदन् .... 12 91 अश्यामतङ्कामम् .... अयसहस्रमृषिभिर .... 33 83 अवभृथनिचुम्पुण .... 17/57 अश्वत्थेवः .... .... अग्नि) ..... 12 47 अवरुदमदीमावदेवम् 358 अश्वस्तूपर? .... .... अर्थेतस्थ.... .... .... 10. 3 अवसृष्टापरीपत .... 17 45 अश्वस्यत्त्वा अद्धऋचे रुस्थानाम् .... 19/ 25 अविनमेष .... .... 19 90 अश्वावतीम् ..... M2 For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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