Book Title: Vajsaney Samhita Mantranamkaradya Anukramanika
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अ० म० / . . . . . . . समिद्धोऽअग्मिरश्विना॑ 20 55 समुद्रेते .... .... .... 1 36 सर्वेनिमेषा .... .... समिद्धोऽअञ्जन्..... .... 29/ 1 समुद्रेत्वा .... .... .... 12 20 सवितातेशरीराणि .... 35 समिद्धोऽअद्य .... .... 29/ 25 समुद्रोसिन स्वान् .... 1854 सवितातेशरी रेख्भ्यस् .... समिधाग्निम् .... .... { 13 : समुद्रोसिविश्वयंचा .... 533 सवितात्वासवाना॑म् .... समिन्द्रणोमनसा ...... 815 सम्यक्रवन्ति .... .... { 103. सविताप्रथमेहन् .... 39 समुद्रङ्गच्छ .... .... 6 21 सम्म्राउंसिप्रतीची ..... 15 12 सवितावरुणलं .... .... समुद्रस्यत्वा .... .... 17/ 4 सयक्षदस्य .... .... 27/ 15 सवितुस्त्वा .... .... समुद्रादूमि .... .... 17/ 89 |सरस्वतीमनसा.... .... 19 83 सवित्राप्रसवित्रा समुदायत्वा .... .... 38 7 सरस्वतीयोन्याम् .... 19 94 सहदानुम् .... .... समुद्रायशिशुमारान् .... 24 21 |सरोब्भ्योधैवरम् .... 30| 16 |सहरम्या.... .... .... { 13 For Private and Personal Use Only

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