Book Title: Vajsaney Samhita Mantranamkaradya Anukramanika
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संहि. संबाजुजित सम्मामि // 14 // [5] अग्नीषोमयोरुजितिम् // अग्नीषो प्र-अ. मयोरुजितिमनूजेषवाजस्यमाप्प्रसुवेनुप्पोहामि // अग्नीषोमौतमपनुदतां / योस्मान्द्वेष्ट्रियञ्चधयन्द्विष्म्मोघाजस्यैनम्प्रसवेनापोहामि // इन्द्राग्ग्न्यो रुजितिमनूज्जेषवाजस्यमा प्रसवेनुप्पोहामि // इन्द्राग्नीतमपनुदतां / योस्मान्वेष्टियञ्चव्यन्द्विष्म्मोवाजस्यैनम्प्रसवेनापोहामि // 15 // वसु भ्यस्त्वा / रुद्रेभ्यस्त्त्वादित्येभ्यस्त्त्वासआनाथान्द्यावापृथिवीमित्रावरु || णोत्त्वावृष्ट्यांवताम् // ध्यन्तुबयोक्त रिहाणामरुताम्पृषतीर्गच्छत्वशानिर्भूत्वादिवङ्गच्छतौनोवृष्टिमावह // चक्षुष्प्पाऽअग्नेसिचक्षुम्#पाहि | For Private and Personal Use Only

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