Book Title: Vajsaney Samhita Mantranamkaradya Anukramanika
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Page 75
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पू.अ. संहि.मि // नोंदेवेभ्य: स्वधापतृभ्य:सुयमैमेभूयास्तुमस्कन्नमुद्य // 7 // अस्वन्नमुद्य / देवेब्भ्य आज्यसम्ध्रियासमङ्क्षिणाविष्ण्ण्णोमात्त्वावऋमि / वसुमतीमग्नेतेच्छाया मुप॑स्त्थेषविष्ण्णोस्त्थानमसीत इन्द्रोंवीर्य्यमक णोद्धोद्धर आस्त्थात् // 8 // अग्ग्नेवे? // अग्नेबेर्होत्रंबे त्यमव॑तान्त्वा / द्यावापृथिवीऽअवृत्त्वन्द्यावापृथिवीस्विष्टकृडेवेन्भ्य इन्द्र आज्येनहविषा | भूत्स्वाहासज्योतिषाज्ज्योतिः // 9 // [3] मयीदम् // मयीदमिन्द्र इन्द्रियन्दधात्त्वस्म्मात्रायोमुघवानल्सचन्ताम् // अस्माकै सन्त्वाशिषः 7 सत्त्यान-सन्त्वाशिष उपहूतापृथिवीमातोपमाम्पृथिवीमाताह्वयतामुग्ग्निरा 0000000000000000000000000000000000 For Private and Personal Use Only

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