Book Title: Vajsaney Samhita Mantranamkaradya Anukramanika
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Page 73
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संहि. रसिवर्हिषेत्त्वाजुष्टाम्प्रोक्षामिवर्हिरसिचुग्ग्भ्यस्त्वाजुष्टम्प्रोक्षाम्म्यदित्यैव्यु न्दिनम् // 1 // अदित्यैट्युन्दनमसि / विष्ण्णौस्तुपोस्यूर्णम्म्रदसन्त्वास्त णामिस्वासस्त्थान्देवेभ्योभुवपतये स्वाहाभुवनपतयेस्वाहाभूतानाम्पतये / स्वाहा // 2 // गंधर्वस्त्वा / विश्वावसुपरिदधातुविश्श्वस्यारिष्टयैयज / मानस्यपरिधिरस्य॒ग्निरिडईंडितः // इन्द्रस्यबाहुरेसिदक्षिणोविश्श्वस्या, रिष्टयैयजमानस्यपरिधिरस्युग्निरिड इंडित? // मित्रावरुणौत्त्वोत्तरतः परि धत्तान्ध्रुवेणुधर्माणाविश्चस्यारिष्ट्रयैयजमानस्यपरिधिरस्य॒ग्निरिडऽइंडित Il // 3 // बीतिहात्रन्त्वा / कवेद्युमन्तु समिधीमहि // अग्नेबृहन्तमद्धरे / For Private and Personal Use Only

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