Book Title: Vajsaney Samhita Mantranamkaradya Anukramanika
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Kailassagersuri Gyanmandit जुषेयजुषे // 30 // सवितुस्त्त्वां / प्रसवऽउत्त्पुनाम्म्यच्छिद्रेणपवित्रणसू यस्यरश्म्मिभिः // सवितुर्व प्रसवऽउत्पुनाम्म्यच्छिद्रेणपवित्रेणसूर्य : स्यरश्म्मिभिः // तेजोसिशुक्रमस्य॒मृतमसिधामुनामासिप्रियन्देवानाम || नाधृष्टन्देवयजनमसि // 31 // [3] // 10 // इतिश्रीवाजसनेयसंहि तायांप्रथमोऽध्यायः // 1 // श्रीवेदपुरुषायनमः // अनुवाक्सूत्रम् // कृष्ण्णोसिषड, ग्नेवाजजित्तिस्रो, मयीद मग्नीषोमयोः पंचका, वग्नेद धायो चतस्रः, संवर्चसापंचा, ग्नयेकव्य वाहनायषद, सप्तचतुस्त्रि शत् // हरिः कृष्ण्णोसि // कृष्ण्णौस्याखरेष्टुोग्नयैत्वाजुष्टम्प्रोक्षामिवेदि For Private and Personal Use Only

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