Book Title: Vajsaney Samhita Mantranamkaradya Anukramanika
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Page 65
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वसोत्पवित्रम् // वसोत्पवित्रमसिधौरसिपृथिव्यसिमातरिश्चनोघर्मोसि विश्वधाऽअसि // परमेणधाम्नादृष्हस्वमाह्वाम्मतियज्ञपतिर्षीित् // 2 // बसोत्पवित्रम् // बसोत्पवित्रमसिशतधारंवसोत्पवित्रमसिसहस्रधारम् // देवस्त्त्वासवितापुनातुबसोत्पवित्रेण शतधारणसुप्प्वाकामधुक्षः॥३॥सा विश्चायुः॥ साविश्चायुत्साविश्वकर्मासाविश्वधोया८ // इन्द्रस्यत्त्वा / भागसोमेनानिम्मिविष्णौहव्यरक्ष // 4 // [3] अग्नेबतपते / व्रतञ्च / रिष्ष्यामितच्छकेयन्तन्मेराद्धयताम् // इदमहमनतात्सत्त्यमुपैमि॥५॥ कस्त्वा / युनक्तिसत्त्वायुनक्तिकस्म्मैत्त्वायुनक्तितस्म्मैत्त्वायुनक्ति॥ कर्म For Private and Personal Use Only

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