Book Title: Vajsaney Samhita Mantranamkaradya Anukramanika
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Page 69
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संहिप्रथस्वोरुतैयज्ञपतिहप्प्रथतामुग्निष्ठेत्त्वचुम्माहित सीहेवस्त्त्वासविता प्र.अ. श्रेपयतुवर्षिष्ठेधिनाके // 22 // माझे ॥मा सिंबिक्थाऽअतमेरुद्रु / ज्ञोतमेरुर्यजमानस्यप्प्रजाभूयात्रितायत्त्वाहितायत्त्वैकुतायत्त्वा // 23 // [3] देवस्यत्त्वा / सवितुरप्प्रेसवेश्चिनोंर्बाहुब्भ्याम्पूष्ण्णोहस्ताभ्याम् // आददेवरकृतन्देवेभ्य इन्द्रस्यवाहुरसिदक्षिणसहस्रभृष्टिल्शततेजाबायु / रसितिग्मतेजाद्विषतोबधः // 24 // पृथिविदेवयजुनि // पृथिविदेवयज : न्योषद्धयास्तमूलम्माहिसिपंचजङ्गच्छगोष्ठानवर्षतुतेद्यौबंधानदेवसवि तत्परमस्याम्पृथिव्या शतेनुपाशैोस्म्मान्द्वेष्टियञ्चव्यन्द्धिष्म्मस्तमतो / For Private and Personal Use Only

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