Book Title: Vajsaney Samhita Mantranamkaradya Anukramanika
Author(s):
Publisher:
View full book text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रीगणेशायनमः // श्रीसरस्वत्यैनमः // श्रीवेदपुरुषायनमः // गणनाथ। सरस्वतीरविशुक्रबृहस्पतीन् // पंचैतान् संस्मरेन्नित्यंवेदवाणीप्रवर्तते॥१॥ अथानुवाक्सूत्रम् // इषेत्वेका, वसोःपवित्रंतिस्रो, ऽग्नेव्रतपते सप्त, पवित्रे स्थोढे, शासितिस्रो, धृष्टिरसिशर्मासिद्धिकी, देवस्यत्वा तिस्रो, देवस्य / त्वापंच, प्रत्युष्टरक्षस्तिस्रो, दशैकत्रिशत् // हरिःॐषेत्त्वा // इषेत्त्वो जेत्त्वाचायवस्त्थदेवोवः सविताप्राप्पयतुश्श्रेष्ठतमायकर्मणुऽआप्प्याय | द्धमग्न्याऽइन्द्रायभागम्प्र॒जाव॑तीरनमीवाऽअयुक्ष्म्मामा स्तेन ईशतमाघ / सोढुवाऽअस्म्मिन्गोप॑तौस्यातबह्वीर्यजमानस्यपशून्पाहि // 1 // [1] For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112