Book Title: Vajsaney Samhita Mantranamkaradya Anukramanika
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संहि. अ० म० / अ.का. अ.| मं० / ब्रह्मक्षत्रम्पवते ..... .... 19 5 भगप्रणेतर्भगढ़ .... 34 36 भूभ्याऽआखून् .... .... 24 36 20 ब्रह्मयज्ञानम् .... .... 13 3 भद्रङ्कणेभिलं .... .... 25 21 भरसिभूमिरस्य .... 13 ब्रह्मणस्पतेत्वमस्य .... 34 58 भद्राउतप्रशस्तयर्स .... 15 39 भूर्भुवस्वःसुप्रजा..... ब्रह्मणेब्राह्मणम् .... .... 30 5 भदोनोऽअग्मिराहुंती 15/38 भूर्भुवस्वः .... .... ब्रह्मसूयसमम् .... .... 23 48 भद्रोमेसिपच्च्यवस्व .... 4 34 भूर्भुवस्वोरिव ब्रह्माणिमेमतयः .... 33/ 78 भवतन्नल्समैनसौ .... { 22 60 भेषजमंसि .... ब्राह्मणमद्य .... .... 7 46 भायैदार्वाहारम्.... .... 30 12 मखस्यशिरोसि .... .... ब्राह्मणासपितर .... 29/ ४७|भुज्यु सुपर्ण .... 1842 मधवेस्वाहा .... ब्राह्मणोस्यमुर्खम् .... 31 11 भुवोयज्ञस्य .... .... 1 16 26 मधुनक्तम् .... भगंऽएवभगवान् .... 34 38 भूतायत्त्वा .... .... 1 11 |मधुमतीर्न .... و به د س ه س س ن و هو For Private and Personal Use Only

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