Book Title: Vajsaney Samhita Mantranamkaradya Anukramanika
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www kabatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अ. अ.का. महोऽअर्णसरस्वती.... 20 86 मानोमहान् .... .... 16 15 मित्रश्चमऽइन्द्रश्च .... माच्छन्दः .... .... 14 18 मानोमित्रोवरुणलं .... 25 24 मित्रस्य॑चर्षणीत? .... 11 मातऽइन्द्रते ..... 10 22 मापोमौषधील .... .... 622 मित्रस्य॑मा .... .... माताचतेपिताचतेग्रम् .... 23 24 |माभासंविक्थाएं .... { 3 36 मित्रावरुणाभ्यान्त्वा .... माताचतेपिताचते ..... 23 25 माहिटसीजनिता .... 12102 मित्रोन एहि मातेवपुत्रम् .... 12 61 मावौरिषत् .... .... 12 95 मित्रोनवाक्षरेण.... मात्वाग्मिनयीत् .... 25 ३७|मासुमित्या ..... .... 11 68 मीढुष्टमशिवर्तम मात्वातपत्मियम् .... 25 43 माहिर्भूर्मा ..... .... 1823 मुखदसदस्य .... मान ल्शदसलं.... .... 3 30 मित्र हुवे .... .... 33 57 मुञ्चन्तुमा.... .... मानस्तोकेतनये .... 16 16 मित्र समृज्य.... .... 11.53 मूर्द्धानन्दिवः .... .... 2.0000000 For Private and Personal Use Only

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