Book Title: Vajsaney Samhita Mantranamkaradya Anukramanika
Author(s): 
Publisher: 

View full book text
Previous | Next

Page 36
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अ० मं० / पंचस्वन्त: नृषदेवेद.... .... .... परमस्याल्परावतः .... 11 72 परित्वाग्मेपुरम् .... .... पंचदिशोदेवी.... .... 17/ 54 |परमेष्ठीत्वासादयतुदिवस्पृष्ठेज्यो परिद्यावापृथिवी पंचनद्यल्सरस्वती .... 34 11 तिष्मतीम् ..... 55 58 परिनोरुद्रस्य ...... 23 52 परमेष्ठीत्त्वासादयतुदिवस्पृष्ठेट्य परिमाग्मेदुश्चरितात् प्रथपथर. 34 42 चस्वतीम् .... 1564 परिवाजपतिएं .... पर्य-पृथिव्याम् .... 18 36 परमेष्ठयभिधीतर .... 854 परिवीरसिपरित्वा पय॑साशुक्रममृतम् ..... 19/ 84 परस्याऽअधि .... .... 11 71 |परीतोपिञ्चता .... .... पयसोरूपम् .... .... 19 23 परितेदूडम .... पारतडभा .... .... 3 36 |परीत्यभूतानि .... .... पयसोरतः .... .... 30/ 28 परितेधन्वन .... .... 16/ 12 /परीमेगामनेषत परमृत्योऽअनु .... .... 35 7 परित्वागिर्वणः ....... 5 29 परोदिवापरऽएना 2000 For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112