________________ 44 Homage to Vaisali नहीं लिया जा सकता, क्योंकि 'कुलिक" नामक पदाधिकारी गुप्तकाल में भी होता था। नगर की निगम-सभा में एक श्रेष्ठी और एक सार्थवाह हुआ करते थे और बाकी सदस्य कुलिक कहे जाते थे, जिनका प्रमुख "प्रथम-कुलिक" होता था। यहीं बसाढ़ की खुदाई में गुप्तकालीन स्तर से हरि और उग्रसिंह नाम के दो प्रथम-कुलिकों और भगदत्त, गोरीदास, गोंड, ओमभट्ट जैसे कितने ही कुलिकों की मुद्राएँ मिली हैं। अष्टकुलिक, जान पड़ता है, वैशाली के आठ नगराधिकारियों को कहा जाता था। व्यवहारिक और विनिश्चय-महामात्य दोनों, न्यायाधिकारी थे। ____ संस्था की बैठक संस्था-राज या उपराज की अध्यक्षता में हुआ करती थी। यदि बौद्ध मिक्ष-संघ की समानता से काम लिया जाय, तो किसी भी प्रस्ताव को जब कोई सदस्य पेश करता, वह सीधे पूज्य संघ - भन्ते संघ–को संबोधित करता था। प्रस्ताव रखने के क्रम बंधे थे। जैसे याचना में संघ के सामने प्रस्ताव रखने की आज्ञा मांगी जाती। ___ उदाहरण के लिये हम उद्वाहिका (Select Committee) के निर्वाचन की विधि के बारे में यहाँ विनयपिटक के वचन को देते हैं : (1) याचना-"पहले उस व्यक्ति से पूछना चाहिये तब......... (2) शप्ति-"भन्ते ! संघ मेरी बात सुने। हमारे इस अधिकरण (विवाद-विषय) पर विचार करते समय अनर्गल बातें होने लगती हैं-भाषण का अर्थ नहीं समझ पड़ता। यदि संघ उचित समझे, तो इस बात को उद्वाहिका द्वारा निर्णय के लिये अमुक-अमुक व्यक्तियों को चुने।" इस प्रकार प्रस्ताव की सूचना संघ के सामने रख दी जाती। फिर अनुश्रावण द्वारा उसके सम्बन्ध में खुले वाद-विवाद के लिए प्रस्ताव को रखा जाता, जैसे (3) अनुश्रावण "भन्ते ! संघ मेरी बात सुने / हमारे इस अधिकरण (विवाद-विषय) पर विचार करते समय अनर्गल बातें होने लगती हैं, भाषण का अर्थ नहीं समझ पड़ता / . यदि कोई प्रस्ताव के विरुद्ध बोलना चाहता, तो उसे बोलने का अधिकार दिया जाता। यदि कोई नहीं बोलता, तो अनुश्रावण के वाक्य को फिर दोहराया जाता / और इस पर भी यदि कहीं से कोई विरोध में बोलने को तैयार नहीं होता, तो अनुश्रावण तेहराया जाता। अन्त में संघनायक संघ की राय के बारे में निम्न प्रकार अपनी धारणा घोषित करता: