________________ 268 Homage to Vaisali के अनुसार विद्याल के राजा दीर्घायु थे, पर कितने भी ये दीर्घायु क्यों न हों, रामचन्द्र के तीन-तीन पूर्वजों के समय तक सुमति के एक-एक पूर्वज राज्य करते रहे हों-यह सर्वथा अविश्वसनीय है। अतः हमारी समझ से श्रीमद्भागवत पुराण में जो वैशाली नरेशों की वंशावली दी गई है, वह सम्भव और सत्य है; क्योंकि उसके अनुसार दिष्ट से लेकर सुमति तक 27 पीढ़ियां बीती हैं और वाल्मीकीय रायायण के अनुसार इक्ष्वाकु से लेकर रामचन्द्र तक 35 पीढ़ियां बीती हैं। वैशाली-नरेश दीर्घायु प्रसिद्ध ही हैं, अतः जबतक इक्ष्वाकु के वंश में 35 राजे हुए तब तक दिष्ट के वंश में 27 राजाओं का होना असम्भव नहीं कहा जा सकता। विशाला के इस इतिवृत्त के अतिरिक्त उसके विस्तार और वैभव का वर्णन महाकाव्यों और पुराणों ने सम्यक् रूप में कहीं नहीं दिया है। किन्तु वैशाली की यह प्राचीनता और उसके नरेशों की अविच्छिन्न वंशपरम्परा तथा माहात्म्य और पराक्रम से यह सूचित होता है कि वैशाली चिरकाल तक शान्ति और समृद्धि का केन्द्र थी।