Book Title: Vaishali Abhinandan Granth
Author(s): Yogendra Mishra
Publisher: Research Institute of Prakrit Jainology and Ahimsa

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Page 519
________________ 474 Homage to Vaisali सरकार से अनुदान लेकर एक आवासगृह (रेस्ट हाउस) बनवाया। बाद में 1956 में तिरहुत के तत्कालीन आयुक्त (कमिश्नर) श्रीयुत श्रीधर वासुदेव सोहनी के प्रयत्न से खरौना पोखर के उत्तरी तट पर एक अत्यन्त सुन्दर और सुव्यवस्थित लोक निर्माण विभाग निरीक्षण भवन (पी० डब्ल्यू. डी० इन्सपेक्शन बंगला) का निर्माण हुआ। इस बंगले का स्थापत्य और उपस्कर (फर्निचर) कलात्मक शैली का है, जिसके लिए श्री उपेन्द्र महारथी ने रूपांकन (डिजाइन) तैयार किया था। बिहार सरकार के पर्यटन विभाग ने 1960 में वैशाली में एक पर्यटक सूचना केन्द्र की स्थापना की, जिसके लिए वैशाली-संघ ने वहाँ के ग्रामवासियों से प्राप्त 39 डिसमिल जमीन बिहार सरकार के नाम हस्तान्तरित कर दी। फिर संघ के प्रयत्नों से ही मुजफ्फरपुर से वैशाली तक बस-सेवा की व्यवस्था भी हो गयी। बिहार सरकार के वन-विभाग की सहायता से वैशाली क्षेत्र के कुछ पुष्करों के किनारे फूल तथा फल के वृक्षों का रोपण भी किया गया। संघ ने प्रारम्भ में एक होमियोपैथिक डिस्पेंसरी की व्यवस्था की थी। जब बिहार में सामुदायिक विकास योजना के अन्तर्गत ब्लाँक केन्द्र स्थापित किये गये, तब वैशाली को एक पृथक ब्लांक बनाया गया और केन्द्र भी। इस प्रकार वैशाली-संघ तीर्थयात्रियों, पर्यटकों तथा अन्य आगन्तकों के लिI सविधायों का कों तथा अन्य आगन्तुकों के लिए सुविधाओं का आयोजन करने में प्रारम्भ से ही सचेष्ट रहा है। वैशाली-संघ ने स्थानीय कृषकों तथा शिल्पियों के आर्थिक विकास के लिए विविध कार्यक्रम चलाये। कई वर्षों तक बांस के शिल्प के सीखने का एक केन्द्र चला और इसके अन्तर्गत अनेक स्थानीय शिल्पियों को कलात्मक प्रशिक्षण दिया गया। सन् 1964 से 1973 तक श्री जगदीश चन्द्र माथुर भारत सरकार के कृषि विभाग में थे। उस समय -उन्होंने वैशाली क्षेत्र के कृषि पैदावार के विशेष विकास का प्रयत्न किया। एतदर्थ वैशालीसंघ को अखिल भारतीय फ्रीडम फ्रॉम हंगर कम्पेन से कुछ सहायता भी दिलायी गयी। इस संस्था से दो रिग (उत्खनन की मशीन) दिये गये। अनेक निजी नलकूप भी खुदाये गये। इस गैर-सरकारी योजना में बिहार सरकार से भी सहायता मिली। जापान से आये चार युवक विशेषज्ञों ने वैशाली में दो वर्षों तक रहकर इन कृषक दलों तथा अन्य स्थानीय कृषकों को नवीन कृषि-पद्धतियों को अपनाने में सहायता दी / आगे चलकर वैशाली में फ्रीडम फ्रांम हंगर कैम्पेन ऑव इन्डिया नामक संस्था ने अपने खर्च पर संघ को एक.अनुभवी कार्यकर्ता श्रीयुत कृष्णदेव दीवान दिया, जो 1971 से कृषि विकासार्थ किसानों के संगठन के काम में जुट गये। इस किसान-संगठन का नाम है वैशाली एरिया स्मोल फार्मर्स एसोसियेशन, जिसका संक्षिप्त रूप होता है वास्फा (VASFA) / कृषि विकास के क्षेत्र में इस संस्था द्वारा प्रशंसनीय कार्य हो रहा है / - वैशाली-संघ की उपलब्धियों से प्रेरणा प्राप्त कर इस क्षेत्र में कई संस्थाओं का जन्म हुआ, जिनमें प्रमुख है 1956 में स्थापित वैशाली बुद्ध जयन्ती समारोह समिति / इसकी ओर से 24 मई 1956 को बड़े उत्साह से बुद्ध जयन्ती मनायी गयी तथा क्षेत्र की भलाई के लिए हर पहलू पर विचार-विमर्श होने लगा। कालान्तर में यही संस्था वैशाली विकास परिषद् के रूप में परिणत हो गयी। कई क्षेत्रों में इस संस्था ने उल्लेखनीय कार्य

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