________________ विकासोन्मुख वैशाली 475 किया है। इसने संघ के वैशाली को भारत के पर्यटन मानचित्र पर लाने के प्रयत्न को यथाशक्ति आगे बढ़ाया है। सरकारी सहायता लेकर वैशाली क्षेत्र में कई स्थानों पर तोरण द्वारों का निर्माण हुआ है और खरौना पोखर पर भारत सरकार के संग्रहालय भवन के ठीक पीछे (उत्तर) युवा छात्रावास (यूथ होस्टल) बनवाया गया है। इस परिषद् ने इलाके में सड़क निर्माण, विद्युत् आपूर्ति, सिंचाई-व्यवस्था आदि के सम्बन्ध में भी अभिरुचि ली है। महावीर स्मारक योजना को आगे बढ़ाने के लिए भी यह सचेष्ट है। जापान बौद्ध संघ के अध्यक्ष महान् सन्त महामान्य श्री निचिदात्सु फुजीई गुरुजी (ज० 6 अगस्त 1885, मृ० 9 जनवरी 1985) से सम्पर्क कर उन्हें वैशाली में विश्वशान्ति स्तूप के निर्माण के लिए राजी कराने का इसका प्रयत्न सफल रहा। बिहार सरकार ने गुरुजी की शर्तों को स्वीकार कर कई लाख रूपये खर्च करके, अभिषेकपुष्करिणी के दक्षिणी किनारे पर आवश्यक भूमि प्राप्त की और उसे गुरूजी के हवाले किया। इस काम में बिहार के राज्यपाल डा० अखलाक-उर् रहमान किदवाई, बिहार सरकार के पर्यटन विभाग के निदेशक डा० शत्रुघ्न प्रसाद ठाकुर और धैशाली के जिलाधिकारी एवं समाहर्ता श्री मुख्तियार सिंह से अपूर्व सहायता मिली। खरौना पोखर पर वैशाली-आन्दोलन के पहले किसी सड़क का नामोनिशान नहीं था। संघ के प्रयत्नों से पहले उत्तर और बाद में पूर्व की और सड़कें बन गयी थीं, किन्तु दक्षिण और पश्चिम ओर विशाल भिण्डे सिर उठाये खड़े थे और उधर की जमीन उबड़-खाबड़ थी। विश्व शान्ति स्तूप निर्माण योजना ने एक असंभव काम संभव कर दिया और जिलाधिकारी की मुस्तैदी तथा ग्रामवासियों के सहयोग के कारण दक्षिण और पश्चिम में भी शांन्ति स्तूप के शिलान्यास के पहले ही, उस अवसर पर जुटनेवाली विशाल भीड़ का स्वागत करने के लिए, सड़कें तैयार हो गयीं तथा दक्षिणी सड़क के दक्षिण, सरकार द्वारा अर्जित भूमि की भराई भी सम्पन्न हो गयी। 20 अक्तूबर 1983 को वहां बिहार के महामहिम राज्यपाल द्वारा वैशाली के विश्व शान्ति स्तूप का शिलान्यास किया गया। इस अवसर पर श्री फुजीई गुरुजी ने अधिक उम्र के बावजूद स्वयं भी पधारने का कष्ट किया था, जिनका विशाल भीड़ द्वारा वहाँ स्वागत किया गया। अभिषेकपुष्करिणी पर चारों ओर से बृक्ष लगाये जाने की योजना भी है, जिसका प्रारम्भ इस अवसर पर कर दिया गया और महामहिम राज्यपाल ने पहला वृक्ष लगाकर उसमें पानी पटाया। वैशाली विकासोन्मुख है और सबसे इस कार्य के लिए सहयोग एवं सहायता की अपेक्षा रखती है। आशा है, 1982 से चालू गंगापुल (महात्मा गाँधी सेतु) से इस कार्य में और भी तेजी आएगी।