Book Title: Vairagya Shatakadi Granth Panchakam
Author(s): Kesharmuni
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
View full book text
________________
18 समग्रदेशेऽमारिप्रवर्तक-स्तम्भती यजलध्यन्तर्वर्षावधि यावज्जालप्रपातनिवारणेन समस्तजलचरजन्तुजातरक्षाकारक-शत्रुञ्जयादिसमस्ततीर्थरक्षणाज्ञापत्र(फुमाण )सम्प्रापक-सम्राइ अकब्बरप्रदत्तयुगप्रधानपदालंकृतश्रीमजिनचन्द्रसूरीश्वराणां धर्मसाम्राज्यवर्तिनः श्रीमजयसोम१ "अकबररञ्जनपूर्व, द्वादश सूबेसु(शुम्बेषु)सर्वदेशेषु । स्फुटतरममापरिपटहः, प्रवादितो यैश्च सूरिवरैः॥१॥"
इति कल्पलताप्रशस्तौ श्रीमत्समयसुन्दरोपाध्यायः। "शुचिमासे शुचौ पक्षे, प्रसन्नो दिनसप्तकम् । नवमीतो ददौ साहि-रमारिगुणपावनम् ॥१॥
एकादशसु शुम्बेषु, फुरमानानि साहिना । अमारिघोषणां कत्तुं, लेखयित्वाऽर्पितान्यहो!!॥२॥" कर्मचन्द्रवंशावली । २ "जला(लुद्दीन )लदी श्रीअकबरवितीर्णाषाढीयाष्टाहिकाऽमारि-वर्षावधिश्रीस्तम्भतीर्थीयजलध्यन्तर्वर्तिजलचरजीवतंतिम(?)रक्षणसमुद्भूतप्रभूतयशःसम्भारसाहि| प्रदत्तयुगप्रधानविरदधार + + + श्रीजिनचन्द्रसूरिपुरन्दराणाम्" इति पत्तनचित्कोशीयपौषधषत्रिंशिकावृत्तिप्रान्ते।
३ "नाथेनाथ प्रसन्नेन, जैनास्तीस्सिमेऽपि हि । मन्त्रिसाच्चक्रिरे नूनं, पुण्डरीकाचलादयः॥१॥" कर्मचन्द्रवंशावली। ४ "संवन्नन्दसमुद्रषट्रशशिमिते [१६४९] श्रीफाल्गुने मासि ये, *नप्राश्री कृष्ण दशमीतिथौ[हि विल] सत्पुण्याः सतां नन्दिनः। शाहिदत्तयुगप्रधानविरुदा आनन्दकन्दान्विते, श्रीमच्छ्रीजिनचन्द्रसूरिगुरवो जीवन्तु विश्वे चिरम् ॥१॥"
इति “युगप्रधान श्रीजिनचन्द्रसूरि" नामनि हिन्दी-पुस्तके। "तत्पट्टानुक्रमतः, श्रीमजिनचन्द्रसूरिनामानः । जाता युगप्रधाना, दिल्लीपतिपातिसाहिकृताः॥१॥" कल्पलताप्रशस्तौ । * नास्ति प्राक्-पूर्वकालिन्या निशायाः श्रीः-चन्द्रप्रकाशात्मिका शोभा यत्रैवंविधा कृष्णपक्षीया ।
Jan Education
a
l
For Private &Personal use Only
Hainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 ... 172