Book Title: Uttaradhyayan Sutram Part 05
Author(s): Sudharmaswami, Lakshmivallabh Gani
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 208
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भाषांतर पन पत्रम् ॥१११00 वर्धमानेन पंचशिक्षिका पंचशिक्षितो वा, पंचभिर्महाव्रतैः शिक्षितः पंचशिक्षितः प्रकाशितः. पंचसु शिक्षासु उत्तराभ्य- भवः पंचशिक्षिका पंचमहाव्रतात्मा, अहिंसा १ सत्य २ चौर्यत्याग ३ मथुनपरिहार ४ परिग्रहत्याग ५ लक्षणो धर्मः प्रकाशितः ॥ १२ ॥ पुनर्वर्धमानेनाऽचेलको धर्मः प्रकाशितः, अचेलं मानोपेतं धवलं जीर्णप्रायमल्प मूल्य ॥१३१०॥ वस्त्रं धारणीयमिति वर्धमानस्वामिना प्रोक्तं, असदिव चेलं यत्र सोऽचेलः, अचेल एवाऽचेलका, यद्वस्त्रं सदप्यसदिव तद्धार्यमित्यर्थः पुनर्यो धर्मः पार्श्वन स्वामिना सांतरोत्तरः, सह अंतरेणोत्तरेण प्रधानबहुमूल्येन नानावर्णेन प्रलंबेन वस्त्रेण च वर्तते यः स सांतरोत्तर सचेलको धर्मः प्रकाशितः एककायें मुक्तिरूपे कार्ये प्रवृत्तयोः श्रीवीरपावयोधर्माचारप्रणिधिविषयो विशेषस्तत्र किं नु कारण ? को हेतुः कारणभेदे हि कार्यभेदसंभवः. कार्य तूभयो. रेकमेव कारणं च पृथक पृथक कथमिति भावः किमिति प्रश्ने, नु इति वितर्के. ॥१३॥ ___अर्थः-जे आ चातुर्याम धर्म श्रीपार्श्वनाथ महामुनिए-तीर्थकरे दांच्यो छे, चार याम ए चतुर्यामः, तेमां थयेलो ए चातु कार्यामः एटले अहिंसा, सत्य, चोरीनो त्याग, अने परिग्रहनो त्याग ए रूप चार व्रतवाळो धर्म प्रकट कर्यो छे; बळी जे आ धर्म श्रीवर्धमान खामीए पंचशिक्षिकः अथवा तो पंचशिक्षित:-पांच महावतोबडे शिक्षावळो ए पंचशिक्षित प्रकाशित कर्यो है, अथवातो पांच शिक्षाओ विषे उत्पन्न थयेलो एपंचशिक्षिक-पांच महाव्रत रूप स्वरूपवाळो, अर्थात् अहिंसा, सत्य, चोरीनो त्याग, मैथुननो परिहार तथा परिग्रहनो त्याग ए लक्षणवाळो धर्म प्रकाशित कयों के वळी श्रीवर्धमान खामीए अचेलक धर्म प्रकट कयों के, एटले अचेल अर्थात् अमुक प्रमाण-मापन, धोलं, लगभग जूनु अने थोडा मूल्यवाळू वस्त्र धारण करवू एम श्रीवर्धमान स्वामीए For Private and Personal Use Only

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