Book Title: Uttaradhyayan Sutram Part 01
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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पराक्रमवाद हरकको अवश्य देखना चाहिये। कहांतक कहें इस टीकामे प्रत्येक विषय सम्यक प्रकारसे यताये गये हैं। हमारी सुप्तप्राय (सोई हुईसी) ममाजमें अगर आप जैसे योग्य विद्वान् फिर भी कोई होगे तो जान चारित्र तथा श्रीसघका शीघ्र उदय होोग, पेसामैमानता हू
आपका उपाध्याय जैनमुनि आत्माराम पंजाबी
इसी प्रकार लाहोरमें विराजते हुए पण्डितवर्य विद्वान् मुनिश्री १००८ श्री भागचन्दजी महाराज तथा पं. मुनिश्री त्रिलोकचन्दजी महाराजके दिये हुए श्री उपासकदशाङ्ग सूत्रके • प्रमाणपत्रका हिन्दी साराश निम्न प्रकार है
श्री श्री स्वामी घासीलालजी महाराज कृत श्री उपासकदशाङ्ग सूत्रकी सस्कृत टीका व भापाका अवलोकन किया, यह टीका अतिरमणीय व मनोरक्षक है, इसे आपने बड़े परिश्रम व पुरुपार्थसे तैयार किया है सो आप धन्यवादके पात्र है। आप जैसे व्यक्तियोकी समाजमे पूर्ण आवश्यकता है। आपकी इस लेखनीसे समाजके विज्ञान साधुवर्ग पढकर पूर्ण लाभ उठावेंगे, टीकाके पढनेसे हमको अत्यानन्द हवा, और मनमें ऐसे विचार उत्पन्न हुए कि हमारी समाजमें भी ऐसे २ सुयोग्य रत्न उत्पन्न होने लगे-यह एक हमारे लिये बडे गौरवकी यात है।
वि. स १९८९ मा. आश्विन कृष्ण १३ वार भौम लाहोर