Book Title: Upang Prakirnak Sutra Vishaykram
Author(s): Jain Pustak Pracharak Samstha
Publisher: Jain Pustak Pracharak Samstha
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औ० १९ रा० २०
जी० २१ प्रज्ञा०२२
॥ १० ॥
इमीसे० नेरतिया केरिसयं २९-९०सू०
२१-९३० २१-९६०
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भंते! रयण० असी २१-७४सू०
,, रयण० उबरि० २१ - ८०सू०
केव० २१-७१स्० घणोदधि०
२१-७७सू०
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15
35
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93
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२१-८३०
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" नरका केमहा० २१-८५० रयण०खरकंडे २१-७३० रयण० पु०अचरम० २२-१५६० सव्वजीवा २१-७८सू० इमे णामा अणुगंतव्या २१-१६७० इमो खलु जीवो
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"
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णरका०
इय अवि मोहपत्ता
बालपंडियं होइ सव्वकालतित्ता
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33
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सिद्धाणं सोक्खं
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इलादेवी सुरादेवी इसिवालियरस भई इह इत्तो चउरंगे
२७-१८०५
इह खलु जिणमयं जिणाणुमयं २१-१सू० इहभविभ्रमन्नभविअं
इहलोह० अवायं दंसेह
आयासं परलोए
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35
२७-२० | इंगालए विआलए
२७- ३१३ इंगालए वियालए २७-७३ |इंदग्गी धूमकेतू १९-२७ इंद मुद्धाभिसिते य २२-१७७
२५-९४
२७-४१६
२७-१२२७ इंदविलयाहिं तिलयरयणंकिए २७-९३२ १९-२५ इंदिअविसयपसत्ता २२- १७५ इंदियउवचयणिव्वत्तणा २५-७४ इंदियसुहसाउलओ
२२-२०७
२७-१४०१
२७-१२३३
२७-२२६
२७-१५१८
२७-१०९८
२७-१८४५
२७-१२०७
२७-३१५
२७-१०
२७- १५९१
ईसाणकप्पवइणो ईसाविसायमयकोह ईसीपभाराए सीआए
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२७- १४३५ २७- १५७६ २७-१५८९
२५- १२८ | उक्कोसचरित्तोऽविय
उअरमलसोहणट्ठा उक्किन्नंतरफलिहा उक्कोसका लट्ठितियं णं०
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२४-८८
२४-९१
२४-२०
२७-९६२
२२- २९९०
२७-१३८७
सूर्य०) २३ चं० २४
जं० २५ नि० २६ प्रकी०२७
॥ १० ॥

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