Book Title: Upang Prakirnak Sutra Vishaykram
Author(s): Jain Pustak Pracharak Samstha
Publisher: Jain Pustak Pracharak Samstha

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Page 12
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir औ०१९ रा० २० जी०२१ प्रज्ञा०२२ सूये०/२३ च०२४ जं० २५ नि० २६ प्रकी०२७ XSEXSEXXXXSEXHENDEAM इको जायइ मरह इक्को मे सासओ अप्पा इक्का य होइ रयणी इको हं नत्थि मे कोइ इक्खू य इक्खुवाडी इच्छामि० उत्तमटुं पडि० इच्छामि भंते ! उत्तमटुं इच्छामुत्ति भणित्ता इच्छामो अणुसद्धि इच्छिजइ जत्थ सया इट्ठजणविष्पओगो इटाणिटेसु सया इणमो सुगइगइपहो इम्हि व मुहुत्तेणं इम्हि सयं विसिस्स उ इति एस पाहुडत्था इति एस पाहुडत्था २७-१४७८ | इत्थ किर विमाणाणं २७-१०९ |इमा णं भंते ! रयण कतिविधा २७-१४९ | इत्थ० चत्तारि महासुक्के २७-११०० २१-७०सू० २७-२२१४ | इत्थ पुण भावणाओ २७-१२९४ | इमा णं भंते ! रयणप्पभा० केवतियं २७-१४६ | इत्थि विसेसो भण्णइ २७-१३१४ बाहल्लेणं० २१-६९सू० २२-३५ इस्थिवेदस्स णं भंते! कम्म० २१-५२सू० इमी० रयण नेरया २१-८४सू० २७-७४ इत्यीए णाभिहिट्ठा २७-४५६ इमीसे पं० णरगा किंमया २१-८६सू० २७-१सू० इत्थी णं भंते ! इस्थित्ति का०२१-४९सू० इमीसे पं० रइयाणं किं संघयणी? इत्यी णं भंते ! ठिती० २१-६४सू० २१-८८सू० २७-४३० " , २१-४७सू० | इमीसे पं० रतिया० कहिं गच्छति? २७-७८७ | इत्थी णं भंते ! अंतरं० २१-५०सू० २१-१२सू० २७-१८४४ इमाओ अटु सुयाओ २७-२८९८ | इमीसे ६० रतियाणं केरिसया २७-२४२९ । इमा शंभंते!रयण० किं सासया पोग्गला २१-८९सू० २७-१८६४ २१-७९सू० | इमीसे गं० रतियाणं केवतियं २७-१६१३ | इमाणं भंते !रयण किंसंठिता! | कालं ठिती २१-९१सू० २७-२६१० २१-७५सू० | इमीसे पं० तीसाए नरया० २४-९८ इमाणं भंते!रयण दोच्चं पुढवि० २१-९४सू० २४-१०७सू० । २१-८१सू० । , नेरइया कतो. २१-८९सू० ॥९ ॥ For Private and Personal Use Only

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