Book Title: Upang Prakirnak Sutra Vishaykram
Author(s): Jain Pustak Pracharak Samstha
Publisher: Jain Pustak Pracharak Samstha
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औ०१९
रा० २० जी० २१ प्रज्ञा०२२ ॥८॥
आसीतै बत्तीसं
२१-६ | आहारो ऊसासो २७-११६० | रक्कं पंडियमरणं आसी य खलु आउसो! २७-१५सू० | आहारो परिणामो २७-(४६७)प्र० आसी य समणाउसो! २७-१६सू० आर्हिडिऊण वसुहं
२७-६६३ इक्कमिवि जमि पर आसीयं बत्तीसं २२-१३४ इअ उवएसामय०
२७-४२९ आसी सुकोसलरिसी
इअ कलिऊण सहरिसं २८-२९२ आसुक्कारे मरणे
२७-६९ इअ खामिआइआरो २७-६९३ ,, वि० ते तस्स आसेहि य हत्थीहि य २७-१८१४ इअ जीवपमायमहारिक २७-६३ , सो तेण आहारए गं० पुच्छा २२-२४६सू० इअ जोइसरजिणवीर
| इकाइ अग्गिजालाइ आहारगसरीरेणं० कतिविधे २२-२७४सू० इअ तस्स बहुगुणदे०
| इक्काइ जलुम्मीए आहारनिमित्तणं अहयं २२-१८६ इअ तह विहारिणो । २७-६९५ इकाइ वायुगुंजा " , मच्छा० २७-११४ इअ वंदणखामणगरिहणाहिं २७-३२५ इक्काइ विज्जुयाए
२७-१४८३ इअ सिद्धाणं सुक्खं २७-१२२५ इक्कारस य सहस्सा २७-२८७ इक्कस्स उ जं गहणं
इक्किकम्मि य जुयले आहारभवियसण्णी २२-२२० रक अप्पाणं जाणिऊण २७-१२६३ आहारसमसरीरा
२२-२०९ एक खिप्पं सो मरणाणं २७-१५१५ | इक्को उप्पज्जए जीवो आहारे उवओगे
२२-९ | इकं च सयसहस्सं २७-२०३८ | इक्को करेइ कम्म आहारो उस्सासो २२-५८४ |इकं पंडियमरणं
२७-२२३
२७-१४८० सूर्य०/२३
| चं०।२४ २७-२३८
जं. २ २७-१५३०नि० २६ २७-१५२९
प्रकी०२७ २७-२३७ २७-२३६ २७-९९० २७-९८५
"
२७-९८९ २७-२०५३ २७-२००२ २७-९५५ २७-१४७ २७-१७७ २७-१८२०
॥८॥
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