Book Title: Upang Prakirnak Sutra Vishaykram Author(s): Jain Pustak Pracharak Samstha Publisher: Jain Pustak Pracharak Samstha View full book textPage 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatrth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir औ०१९ सूर्य०२६ जं० २५ रा० २० जी० २१ प्रज्ञा०२२ नि० २३ प्रकी०२७ अहवा तिविहा० पज्जत्तगा०२१-२५३सू० अहवा सव्वं चित्र २७-५८ | अंतो मणुस्सखेत्ते २७-६०७५ अहवा तिविहा० परित्ता० २१-२५२सू० अहवा सुवण्णमासा | अंतोमुहुत्तकालो अहवा तिविहा० भवसिद्धिया अह सो आलोअणदोसवजिअं २७-२९७ अंधियपत्तियमच्छिय २१-२५६सू० अह सो जिणभत्तिक २७-१२ अंवट्ठा य कार्लंदा य २२-११९ अहवा तिविहा० सपणी० २१-२५५मू० अह सो दुक्कडगरिहा २७-५५ आइच्यतेअतविआ अहवा तिविहा० सुहुमा २१-२५४सू० | अह सो निराणुकंपो २७-६७० अहवा दसविधापढमसम २१-२७३सू० अह सोवि चत्तदेहो २७-६५८ | आइञ्चतेयतविया अहवा दुविहा०चरिमा चेव २१-२५०सू० अह सो सामाइअधरो २७-३०९ आउन्त्रेयसमत्ती २७-१२४८ अहवा दुविहा०सभासगा य २१-२४९सू० अह हुज्ज देसविरओ २७-३०४ आउसो! एवं जायस्स २७-१३सू० अहवा दुविहा सब्वजीवा० २१-२४८मू० अंजणगुणसुविसुद्ध २७-५४७ | आउसो! जंपिइम सरीरं २७-१६सू०(ब) अहवा दुविहा सव्वजीवा २१-२४६० अंतरं बायरस्स० २१-२३७सू० | आउसो! तो नवमे मासे २७-११सू० अहवा पंचविहाणेरड्या०२१-२६३सू० अत्तं(न्तं)परजोगेहि य २७-१३४१ | आउसो! से जहानामए २७-१७सू० अहवा सत्तविहा० कण्हलेस्सा अंतो चउरंसा खलु २७-९६१ | आकंपणं अणुमाणणं २७-१३५८ २१-२६७सू० अंतो णं भंते ! मणुस्स० २१-१८०० आगममयप्पभाविय २७-१४०३ अहवा समाहिहे अंतो गं० माणुसुत्तरस्स० २५-१५१सू० | आगरसमुट्ठिय तह २७-१५८१ २७-२५८७ अंतो मणुस्सखेत्ते २१-७२ आणयपाणयकप्पे २१-८७ अहवा समाहिहेउं सागारं २७-३२१ । " २२-१५६ RAJVAJIVAJANAMA For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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