Book Title: Tulsi Prajna 1997 07
Author(s): Parmeshwar Solanki
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 7
________________ सम्पादकीय तेरापंथ का तीसरा सगावसान महाराजा खारवेल की सुप्रसिद्ध हस्थी-गुंफा-शिलालेख की दसवीं पंक्ति के उत्तरार्द्ध में लिखा है- दसमे च वसे कलिंगराजवसाने ततिययुग सगावसाने कलिंगयुवराजनं वासकारं कारापति सतसहसेहि-कि दसवें वर्ष में कलिंगराज-स्थापना के तीसरे युग का सर्गावसान होने पर समारोहपूर्वक राजकुमार वासकार को युवराज पद दिया। हस्थी-गुफा के पास मंचपुरी गंफा में दो लघ लेख हैं--- १. ऐरस महाराजस कलिंगाधिपतिनो महामेघवाहनस कुडेपसिरिनो लेणं। २. कुमारो वसुकस लेणं । -अर्थात् ऐरस महाराजा कलिंगाधिपति महामेघवाहन कुडेपसिरि की गुंफा और कुमार वासुक की गुंफा।। मंचपुरी गुंफा में हो कलिग जिनपूजा का एक दृश्य (काविग) भी है। इस दृश्य में कलिंग जिनपूजा आसन के सामने एक वृद्ध और एक कुमार के चित्रांकन हैं जो संभवतः कुडेपसिरि और कुमार वासुक (दादा-पोते) के हैं क्योंकि वही उक्त दोनों लेख-पंक्तियां खोदी गई हैं। ___ लगता है, वही इतिहास तेरापंथ महासंघ में भी दोहराया गया है। आचार्य भिक्षु, आचार्य जय और आचाय तुलसी के साथ इस महासंघ के भी तीसरे युग का सर्गावसान हो गया और आचार्य महाप्रज्ञ ने मुनि मुदितकुमार को युवाचार्य पद सौंप दिया। तुलसी प्रज्ञा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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