Book Title: Trinshshloki Author(s): Publisher: View full book textPage 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir नदाजननजान जन्मानिमित्तमाशोचंपूर्णहरूममस्त्येव नशावशोचेनतन्नित्तिः किंतुजन्माशोनेन विशिशूपरमानिमित्ताशोचनिनिरिनिभावः॥ नदुरवहन्मनुना।दशाहात्यंतरेचालेपमीनेनस्यगंध वैशाचाशौचनकर्त्तव्यंसूत्याशोचंविधीयतेइतिचादजननानंतरंनालछेदनात्यानिधनमुपग जनार्हसर्वेषांपित्रादीनांत्र्यहणेवशुदिःस्वादिनिशेषः॥ इहविषयेतिकायामातुःसकलसंपूर्णदशा | / प्राङ्नालछेदनाचेन्निधनमुपगनस्लमहेणेचशादिःसर्वेषांसूनिकायास्ति रुसकलकंप्रेतशाहिस्तसयः॥३॥ हंप्रसपानामत्स्यान्॥शावझरिस्तसधः॥ प्रसवनियित्नमेवावतिानशावमितिभावः॥जीयनजातोदितनोमनःसूतकएकतु सूनकंसकल मातुःपित्रादीनांत्रिरात्रमितिवचनात॥यावन्नछिद्यनेनालंतावन्नामोनिसूतकंगउिन्नेनालेततः For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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