Book Title: Trinshshloki
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Page 56
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir बिका यति॥मेणेनि॥कमेणपूर्वाभाने परइत्यनुक्रमेणास कुलजःमपिंडःमोद कोवानभावेजनन्याश्यवंशनः | नदभावशिष्यः सदभावकालिन नरभानेप्राचार्योनाविध्यारित्यन्वयः सकलेत्यनेनदशाहांनं कर्तृभेदोन / कार्यइनिस्चितमानथाचगृत्यपरिशिष्टे॥असगोत्रःसगोत्रोवायदिनीयरियापुमान्॥ प्रथमेहनियांदया पुत्राभावक्रमेणस्नकलजजननीवंश्यशिष्यार्बिजोवाचार्योग यत्रकामथगदिनविधिसोपितत्सूतकात // 2 // सरशाहंसमापयदिति॥गो तमस्मतिश्च // पुत्राभावसपिंडाःशिष्याचदानदभावकविगाचार्याविति // इदानींदेशानियममाह।यत्रोन, यत्रयस्मिन्देशेप्रथमदिननिधिकुर्यात्सोपिसएनदेशस्तसूनकांतंदशाहपर्यंततत्कर्माहनीतिशेषः॥ पत्रप्रया मदिनहत्यानंतत्रैवदशाहपर्यंनसमापनीयमित्यभिसंधिः॥अत्रदेशनियमेशिशचारोमूलमित्यत्तसंघयं // 23 // For Private And Personal Use Only

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