Book Title: Trinshshloki
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Page 66
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir का तेनास्तीर्णाभाचारित्तायाक्षिनिर्भमिः॥ तामिनियताः॥ ब्रह्मचर्यादिनियमयुक्ताः॥ स्थानिशायांसावशेष 21 निस्पटमेतत्॥अत्रक्रीतलाशनाभूभोवपेयुनेस्थकएथगिनियाज्ञवल्क्य वचनम्॥ गृहानबाजि / त्वाधःप्रस्तरेयहमनभंतःआसारन्॥ कानोत्पन्ननवावन्निनिवासववचनम् ॥अक्षारलवणान्ना रुत्रासंगंमंगलानिव्यसनहसनसद्रोदनोच्चासनानितार्णा स्तीक्षितोतेएथगिनिनियताःसंविशेयुर्निशायाम्॥२७॥ स्कार्नमज्जेयुस्ततेत्यहं। मांसाशनंचनाभीयुःशयीय नेटथइक्षिनोइतिमनुवचनम्।तथाधःशया // 3 सनिनोब्रह्मचारिणश्वसर्वइतिगोनमवचनंमूउमनुसंधेयम् // 27 // 5 % 3D For Private And Personal Use Only

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