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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir . / / कोबातीर्थमंडन श्री महावीरस्वामिने नमः / / / / अनंतलब्धिनिधान श्री गौतमस्वामिने नमः / / / / गणधर भगवंत श्री सुधर्मास्वामिने नमः / / / / योगनिष्ठ आचार्य श्रीमद् बुद्धिसागरसूरीश्वरेभ्यो नमः / / / / चारित्रचूडामणि आचार्य श्रीमद् कैलाससागरसूरीश्वरेभ्यो नमः / / आचार्य श्री कैलाससागरसूरिज्ञानमंदिर पुनितप्रेरणा व आशीर्वाद राष्ट्रसंत श्रुतोद्धारक आचार्यदेव श्रीमत् पद्मसागरसूरीश्वरजी म. सा. जैन मुद्रित ग्रंथ स्केनिंग प्रकल्प ग्रंथांक :1 जी जैन आराधना महावीर कोबा. 2 अमृतं तु विद्या तु श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र शहर शाखा आचार्यश्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर कोबा, गांधीनगर-श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र आचार्यश्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर कोबा, गांधीनगर-३८२००७ (गुजरात) (079) 23276252, 23276204 फेक्स : 23276249 Websit: www.kobatirth.org Email : Kendra@kobatirth.org आचार्यश्री कैलाससागरसरि ज्ञानमंदिर शहर शाखा आचार्यश्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर त्रण बंगला, टोलकनगर परिवार डाइनिंग हॉल की गली में पालडी, अहमदाबाद - 380007 (079)26582355 For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir ॥श्रीगणेशायनमः॥ ॥नवागणेश्नरंदेवंशारदांगुरुमातानः॥ आशोचनिर्णयंत्रिंशडोक्याच्यारयांकरोम्य हम्॥ // तत्रस्मा क्रममुटुंध्यलोकप्रसिङक्रममनुसरन्गर्मविपत्तिनिमित्ताशीचक्रमेणआशौचं प्रतिपादयति॥अस्यान्वयः॥ ॥षण्मासाश्यंतरेषुषण्णांमासानांअभ्यंतराणिमध्यानितेषुस्वपुरुष षण्मासाम्यंतरेषुरखपुरुषनिहिनेगर्भमात्रविनष्टेमातातन्माससंरव्यासम दिनमशचिःमानशासपिंडाअंत्येमासहयेतत्रिदिनमशचयोतः परंसूतिवत्स्याच्चातुर्वण्यस्यतुल्यंशावनिवयमियत्योच्यनेशोचमात्र॥ नाहतेभनिहिनेगर्भमात्रेअपूर्णाचयवेगर्थेविनष्ठेच्युतमाताजननीनन्याससंरत्ययासमदिनंते पांमासानांगर्भधारणादारभ्यप्रत्येकंयायासंरच्यानयासमानिदिनानियत्रतद्यथाभनिनथाअशलि For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir परशुयास्पान्भासचासोमासश्वनन्मासः॥नस्यसंरच्यानयासमानानिदिनानियस्मिन्काले नमितिसमा सातथाचायमर्थः॥गर्भधारणमासमादिहलायन्मासाम्यंत्तरेग:विनष्टे॥तन्माससंरच्ययासमदिना नीति॥अत्रयद्यप्पविशेषणोत्तथापिचतर्थमासमारभ्यषणमासपर्यतंटष्टव्यमा आयेगासत्रये पित्रिरात्रमेव॥मातुरविशेषेणसपिंडानांनाशोचम्॥ तथाचमरीचिः॥गर्भस्त्यायथामासमचि रेतूतमेत्रयइतिाअचिरेआयमासत्रयेउत्तमेब्राह्मणज्ञानोत्रयोदिवसाआशौचहेतवास्युः॥मा सत्रयेत्यहमितिगोतमोक्तेः॥ ॥तथाचस्मृत्यंतरमपि। स्वावेमातुमित्ररात्रस्यासपिंडाशौचब जनमिनि॥एवंमातुराशौचमभिधायसपिंडानामाह॥ ॥स्नानशहाःसपिंडाः।। सपिंडाः सभ मपुरुषावसानाः॥स्मानेनशहास्युरिति सद्यःशौचंसपिंडानांगर्भस्यपतनसतीनिम्मरणा || त्॥एवंसपिंडानांचतुर्थमासादित्रयेऽविशेषेणसद्यःशोचेप्राप्तेपंचमषष्ठयाविशेषमाह॥ // For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir अंत्यदनि॥अंत्येमासयेषष्णामासानांमध्येयदत्यमासहयपंचभषधारयंतत्रसपिंडास्मदिनमशच यास्युरितिसंबंधः॥तथान्चस्मृतिः।। पानगातुर्यथामासपित्रादीनादिनत्रयमितिवचना छतिभावः॥ // अत्रपातःपंचमषष्ठयोरितिवचनातणनशब्दःपंचमपटमासोपलक्षणपरः॥ // अतः षण्मा सादूर्ध्वंसप्तमाटममासयो सूनिवस्यात्॥आशौचमितिशेषः॥सूतिप्रसनोजननंतत्रैवेनिसूतिवनम सवनिमित्नंदशाहंनान्यनिमित्तमिनियावत् सूनेर्दशाहाशोचनिमित्तानात् ॥दशाहंशावमाशोचंसपिं उपविधीयते॥जननेप्येवमेवस्यान्निपुणांशुद्धिमिछतामिनि।मनूत्तापसिद्धा। तथाचस्पतिः॥ष | ण्मासाप्यंतरेयावतगर्भस्त्रावोभवेदा॥तदामाससमेस्तासांदिवसेःशद्धिरिष्यने।अतउर्वस्वजा त्युक्तंनासामाशोचामष्यनिानथाहारीनोपि॥जानमात्रेमतेमृनजानेवासपिंडानीदशाहमिनि ।एतम्यना तुर्वर्ण्यसाधारणतामाह॥ चातुर्वर्ण्यस्यतुल्यमिति॥ एतदाशोचंचातुर्वर्ण्यस्यचतुर्णावर्णानांनुल्यसा For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir चिंकी साधारणंभवति। नात्रकननचर्णरुनोविशेषः॥ न केवलमिदमेवतुल्यंचयोपस्थाविशेषोपरनिनिमि नमपिचतुर्वर्णसाधारणमित्याह चयूसियारनियद्यसिविशेपोपरनिनिमित्तमाशोचंचविशेषोपादानराहित्येनचिहिनंतदपिचातुर्यस्यतुल्यं भवति। तदुक्तंव्याघ्रपादमुनिना। तुल्यंचयसिस र्वेषामनिकांतेनथैवचेतिक अवस्वपुरुषनिहितइत्यनेनपरपुरुषनिहिनेजननाव्यतिरिक्तानामा जन्माशीचांतरालेयदिशिशनशनंचालचत्यूर्घकालेनिःप्राणोनिःपतेहाजन नजनितमाशीचमरस्येवलमम्॥ शौचाभायोध्वनितः॥१॥ इदानींपूर्णपसवानमिना माशोचंहितीयत्तेनाह॥ ॥जन्मेति। जन्याशौचांतरालेजन्माशोचमध्येनालरल्यूर्घकालेनाल छेदनानंतरंयटिशिशोर्नशनमुपरम स्यात्॥अथवा॥निःप्राणःप्राणरहितोनानिःपनेत निर्गछेत् For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir नदाजननजान जन्मानिमित्तमाशोचंपूर्णहरूममस्त्येव नशावशोचेनतन्नित्तिः किंतुजन्माशोनेन विशिशूपरमानिमित्ताशोचनिनिरिनिभावः॥ नदुरवहन्मनुना।दशाहात्यंतरेचालेपमीनेनस्यगंध वैशाचाशौचनकर्त्तव्यंसूत्याशोचंविधीयतेइतिचादजननानंतरंनालछेदनात्यानिधनमुपग जनार्हसर्वेषांपित्रादीनांत्र्यहणेवशुदिःस्वादिनिशेषः॥ इहविषयेतिकायामातुःसकलसंपूर्णदशा | / प्राङ्नालछेदनाचेन्निधनमुपगनस्लमहेणेचशादिःसर्वेषांसूनिकायास्ति रुसकलकंप्रेतशाहिस्तसयः॥३॥ हंप्रसपानामत्स्यान्॥शावझरिस्तसधः॥ प्रसवनियित्नमेवावतिानशावमितिभावः॥जीयनजातोदितनोमनःसूतकएकतु सूनकंसकल मातुःपित्रादीनांत्रिरात्रमितिवचनात॥यावन्नछिद्यनेनालंतावन्नामोनिसूतकंगउिन्नेनालेततः For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir कि पचासनकालिनिन्दनाना एवंडालमियोपेगदशाहाद्याशील पवादमभिधायहयोव / स्थानिशेषादपित्तदपवादस्वतीययत्तेनाह ॥नामनःप्राकनामकरणापूर्वपरेने परनेचालेमानस्नान मानतन्निमित्तमाशोचमिति म पाकनामकरणासधःशौचमितिशरवस्पते नामकरणादूर्ध्वद शनजनननोरनजननादर्वाङ्गपरेनेप्रेनेअमिदग्येअहः॥ एकरात्रंहस्त्वदत्तकन्यागालेपच स्मानंपाङनामतोर्याग्दशनजननतोहःपरेनमिदेग्धे दग्धेत्ववापिसद्यः स्तदुपरिदिनमायब्दतौलशन्ये विशोधनभितियाज्ञवल्क्यः ॥अदग्धेत्तुसद्यः शाहःस्मानमात्रम्॥आरंतजन्मनःमद्यइतिवचनात् मनपरिदिनमात्र्यदत्तश्नोलशून्येनदुपरि दंतजननादूर्वयावचिनचूडाकरणरहिनेपरेनेदिनमेकरात्रंमआचोलान्नेशिकीस्तनिवननात्॥ For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir छनचोलेजिरावामित्याह सच्चोरेनुषिरात्रमिति मोलेरूनचीलेपरेनेत्रिरात्रम्॥निबनचूहकानांतत्रि राबाहिरिष्यतइनिमनुवचनान वर्षत्रयानंतरंयाचदुपनयनंभविशेषेणत्रिरात्रमित्याह विदिन मितरथाप्याब्रनादिति इनरथाअक्तचौलेअपिशब्दात्कृतचोलेचसंस्थिनेतदुपरिवर्षज्यादूर्वउपनयना यात्रिरात्रं॥नथाचायमर्थप्रथम देहनचोलस्ययाचदुपनयनंत्रिरात्रंावर्षत्रयादूर्वअलनचोलसन्चौलतुधिराधिदिनमितरथाप्यावताज्जात्यशोचमातापित्रोस्तुपुत्रोत्रिदिनमदशने सन्निधौनश्चेष्टे॥३॥स्थापियावदपनयनंत्रिरात्रमितिरात्रमाव्रतोद्देशादितिवचनात्॥एवंचयोच स्थाविशेषेणाशौचविशेषमभिधायजात्याशीचमाह। जात्याशोचमिति। मनदुपरिउपनयनानं तरंजात्याशौचंदशाहादिकमिनियावत्॥ दशरात्रमतःपरमिनिवचनात् // एवमवशिषे-॥ For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir पिंकी। णाजानदंतमरणेमातापित्रोरपिसघशोचारिमाप्तोतदपवारमाह॥ ॥मातापित्रोस्कपत्रइत्यादिनामा! दशनेजानदंतेपरेनेमातापित्रोस्त्रिरात्रमेव // पालानामजानरंतानांत्र्यहाछुद्धिरितिकश्यपवचनात् / वैजिकादपिसंबंधादनुसंध्यादधन्यहमिनिस्मृत्यंतरान एतत्सर्वमानपानामतो किशनज ननतोहःपरेतइत्यादिनोतमा सन्निधौशिशुमरणेवेदिनयमित्याहा सन्निधौनष्टनेष्टइतिसन्निः घोसमापेनशचेष्टायस्येनिमृतदनियावत् ॥असन्निधौलुशिशमरणेतिकांताशोचमेतन्नभवतीनिक्षा चः॥ तदुक्तंच्याम्रपादमुनिना उपनीतेतुविषमंतस्मिन्नेनानिकालजमिनि॥३॥ ॥अथचतुर्थहन नवआद्यार्थपरस्पाययर्थ जन्मतउउनादेअपूर्णहिवर्षेअसंज्ञेगनसंज्ञेमृतदनियावनी ताजनिकरःपिताजननीमाना सोदराः वानरःएषादशाहाशोचमित्येकपक्षः गर्भप्रेतेमात दशाहं जानउभयोःकतेनाम्निसोदराणामितिग्यरचनाना पानरमाह॥यडेनि ॥अथवा-| For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir पिपरिचयरयधिरामाशोचअस्पृश्यन्न मेवाधिकम् सूनकंकर्णनधिकारिवलक्षणं निरासपिड़ी। महसमानमेवतिभावः। एनअपक्षयं त्रिरात्रंदशरात्रंबाशावमाशोचमिष्यते। उनहिवर्षे 'भयोः सूनक्रमातुरेवहात्सेतन्यारव्यानसमयेविज्ञानेश्नमाचार्ये स्पीकतम्॥अथस्त्रीपुवयोव जनयब्दत्वसंज्ञेजनिकर्जननीसोदराणांदशाहंयहास्यू श्यत्वमेचाधिकमिहविषयेस्तकंतुत्रिरात्रम्॥ // स्थाविशेषादाशोचविशेषमाविष्ठरोत्युत्तरान॥ ॥नामकरणादूर्ध्वक्षोरकालादर्वाक्यानक्षोर / | कालं मृतासुस्त्रीषुकन्यासुत्रिपुरुषविषयेयाचत्रिपुरुषंयोज्ञानिःसस्मानमात्रेणशङ्ख्येत अत्र / For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir त्रिपुरुषविषयइत्यनेनकन्यानांसपिज्यमाविरुपमाभप ज्ञानांनुस्त्रीणांधिपुरुषीविज्ञायत्तन्नियासियो कमाभमनम्॥ एतच्चसधःशौचम्। अचूड़ायांतुकन्यायांसद्यःशौचविधीयतआपसंयोक्तमज्ञेयंगवाग्दा नत्तो प्रथमंचूडाकरणादनंतरअन्हाएफेनैवरिवसेनज्ञानिःश्फत् येदिनिपूर्वेणसंबंध: अहस्त्वदन स्त्रीषुरनानेनमध्येत्रिपुरुषविषयेज्ञातिराक्षौरकालादग्विाग्दाननोन्हा विभिरुपयमनाइर्तगोत्रस्वकंचा 5 . कन्यामुबालेषुनविशोधनमितिस्मरणार निभिरुपयमनादिनि वाग्दानादूर्घउपनयनाविवाहादा | भर्तगोत्रं परिणेरगोत्रस्वकंपितगोत्रंचविभिनिःशल्येनाइयंचशरिास्त्रीणामसंस्कृनानांतुन्य / / हाजुत्यंतिवांधवाः। यथोक्तेनैवकालेनशल्यतितुसनामयइतिमनूक्तावेदितच्या॥४॥ For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir एनंचनुर्वर्णमाधारणीशडिमुवावर्णविशेषेणदशाहाशोचापवादपंचमहत्तपूवा'नाह। जन्मनानि / जन्मनिजननाशोचे उपतःउपनाताहतोपनीतसंस्कारः उपेनएवओपेनालस्यमृत्योउपनीतमरणेबाह्म| गाद्यावतारोवर्णाःक्रमणदशनिशादिकालमशचयस्युः ब्राह्मणो दशाहं क्षत्रियोदशाहं वेश्यः | पसंपंचदशाहंशूद्रोमासं पक्षड्यमितिक्रमःउचिनकदपाकयज्ञहिजशभूषादिविहिनकर्मानुमान जन्मन्योपेतगृत्यावपिचदशनिशाद्वादशाहानिपक्षमासंवर्णाःत्रमेणाशचयर चितकृछूद्रजातिस्तपक्षम्॥ "शालःशूद्रःपसंपंचदशरात्रमेवाशचिन्तुमासंगक्षत्रि यस्यद्वादशाहानिविंशःपंचदशेनतु॥विंशदिनानिशूइस्यतदर्धन्यायवर्तिनइतिवचनात् // // इदा नीमुत्तरार्दैनकुलसंबंधिपुरुषविशेषोपरमेदशाद्याशीचापवादमाह॥ For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir | वानप्रस्यइनि कुलजेनवंश्यानप्रस्थन्तीयामिणियनोचचतुर्थाश्रमिाणपंढवेलीवेनोपरमनिरप रतेआप्रवःस्मानमात्रंशाकारणमिनियावन योषिट्रोनिप्रगुप्यनद्राणायमृतवनिदिनमहोरात्रमाशी चायुस्थविधेसाक्षायुरहतेनुसद्यमानमात्रेणझारितिपूर्वेणसंबंधवायुयातनकालांतरमृततु दिनमेवशधिहेतुः॥ ब्राह्मणार्थेविपन्नायेयोषितांगोगृहेपिया हवेचाहतानांवाएकरात्रमशोचक वानप्रस्थेयनोचोपरगतिकुलजेषंढकेचापूवम्पाद्योषिोविप्रगुस्यै मृतवतिनदिनयुद्धविरेनुसद्यः॥५॥ मिनिस्मृतः॥ उद्यतेराहवेशरपेक्षत्रधर्महतस्पच, सद्य संनिसनेयजस्तथाशीचमिनिस्तिनिरितिमनुवचनात् // एतत्ज्ञातव्यमेवाझदिनिमित्तमितिहनिर्णानमनोज्ञानानंतरसुत्सर्गनोदशाद्या For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir शौचप्राप्तीकचिद्देशकालादिभेटेनतदपवादमाह॥ ॥शावेनीतइनिषष्ठचनेन॥ // // | शावेशावाशोचेदशाहात्प्रभृति दशाहादिकेअत्तीनेअनिकांनदशदिनानंतरंज्ञान इनियादत॥ विषयकइनियस्मिन्देशमृतिस्तत्रैवज्ञात। त्रिमासात्यानथममासत्रयत्रिरायम॥ त्रिमासानंतरम् / शावेतीतेदशाहानानिविषयकेप्राधिमासानाचरात्रंपक्षिण्याषतमासा दिनमिहनवमात्स्यात्ततःस्नानमात्र आषण्मासातषण्मासंयावदपक्षिणी पूर्वाप रदिनात्यांयुक्ताराधि रकदिनिमित्तं।आगामिवर्तमानाहर्युक्तायांनिशिपाक्षणीतिकोशात्॥ षण्मासादू यावन्नवमासपर्यंतदिनमहोरात्रम् // ततोनवमासादृर्द्धस्मानमात्रस्यादितिसंबंधः॥मासत्रये, विरास्यात्षण्मासेपक्षिणीतथा॥ अहस्कनवमादागूमानेनझभ्यतीतिहहद्धसितवचनात् / For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir किंकी देशांतरेमृतिश्रवणेविशेषणत्रिमासादावपिस्नानमेवेत्साह॥ ॥स्मानंदेशांतरस्थमिति // // देशीत रमृतंश्रुत्वाकावेरतानसेयनोमनेस्मानेनशध्यनिगर्भमावेचगोत्रिणइनिस्मृत्यंतराच्च॥ देशांतरल |क्षणंनुाहन्वहस्पतिः॥ महानग्रंनरंपत्रगिरिर्वायवधायकः॥ वाचोयत्र विभिचंतेनद्देशांतरमुच्य नगदेशांतरंवदंत्येकेपछि योजनमायतम्॥ चत्वारिंशदंत्यन्येत्रिंशदन्यतथैवचति। एनस्यापवा स्मानंदेशांनरस्येत्वथुपितृविषयेदेशकालाविशेषात्स्नस्तंमातुःसपल्यास्त्रि दिनमिदमतिकात्यशौचसमानं दमाह॥अथपिदविषयइति ॥देशकालाविशेषासर्वदेशेसर्वकालेचपिनुर्मातुश्वमरणेसतानांस्वस्वस्तजातिविहितंदशाहादिकमेव // पिनविषयर त्यत्रपिताचमातापितरौतीविषयौयस्येनिसमासः॥पितरोन्मृतौस्यातांदूरस्थोपिहिपत्रकः॥ For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir शुन्नलिमारपशाईस्ततीदिनिवनगद अपरमातुर्दिोषमाह। मातुःपत्यारिपरि ति॥अपसागरिमृतायांपुत्रस्यदेशकालाविशेषेणमदमा सार्वत्रिरात्रंातदुत्तं पितपल्याग ऐसाशंगामजहिजोत्नमसंवत्सरेव्यतीतेतुत्रिरात्रमशचिर्भवेदिति अत्रशावशब्दयहणेना निकालेजननाशोचे शुदिनैवनिचिनातथाचोक्तम्॥नाशालिप्रसवाशोचेव्यतीपातपरि नेष्वपानिदेवलेन॥ एतदतिकांताशौसर्ववर्णसाशरणमित्याह ॥इदमनिक्रांत्यशोसमानमिति // इदं अतिक्रनिरशिकमः॥ तसंबंध्याशोदनसामानंसर्ववर्णसाधारयमित्यर्थः। पोषिते कालशेष स्यादशेषेत्र्यहमेवहि सर्वेषांवत्सरेपूर्णतेदत्वोदकंश चिरितिवचनात्॥पोषितेप्रेते सर्वेषांबाह्मणक्षत्रियादीनांअविशेषणकालविशेषःशमिहतुभशेषेपुननिक्रांतेदशाहादो सर्वेषांत्र्यहाशोनमेव संवत्सरेपूणेयदिपोषितप्रयणमवगतंग्यात्तदास ब्राहाणादिस्नात्वो For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir विकी दकंदत्वासाचिस्यान्॥तुल्यंचयसिसर्वेषामनिकानेनथेननेतियानपादचनात् // 6 एच।।। ||स्वकुलोत्पन्नमत्ताशोचमत्काकुलांतराश्रितानामपिमत्तानामाशोचमाह॥ सप्तमादिभिस्त्रि भित्तैः। पित्रोरित्यादिभिःपित्रोर्मातापित्रोर्गहेमभूदाप्रसवमरणयोःसम्यदाया:परिणीताया , प्रसवमरणेतयो पित्रादिकानामेकरात्रत्रिरात्रेस्यानांयदापितमातगेहेपरिणीतकन्याप्रसताम् / पित्रोर्गेहेसमूदाप्रसवमरणयोरेकरात्रत्रिरात्रेस्यातापित्रादिकानामथपि तमरणच्यूढपुच्यास्त्रिरात्रम्॥ तायाभवतिगतदातस्याःपिवाटिकानांक्रमादेकरात्र त्रिरात्रे॥प्रसवेएकरात्रंमरणेत्रिरात्रमित्यर्थः अत्रपित्रोर्गहइत्यनेनर्भर्नगेहेप्रसूतायामृता यावापितपक्षाणांसर्वेषामाशीचाभावोदर्शिता तथाचविष्णुवचनंगसंस्कृतासुस्त्रीषनाशो| For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir | पितृपक्षेतत्प्रसयमरणेचेपितृगेहेस्यातांतदेकरात्रिरात्रंति अपितमरयोन्यूटपुच्यास्विरामि / त्यत्राथशब्देनाधिकारांतरसूचनायूदपुत्र्याःपरिणीतकन्यायाःपित्मरणेमातापित्रोमरणधिरावं पित्रोरुपरमेस्त्रीणांमूदानांतुकथंभवेत्। त्रिरात्रेणेवशरिः स्यादित्याह भगवान्यमइति। याज्ञयक्यस्मरणार॥प्रेतेष्वाचार्यमातामहदुहितृसुनश्रोत्रियर्बिक्सयाज्यस्वस्त्रीयेषुत्रिरात्रंापनयनपूर्वकये प्रेनेवाचार्यमानामहदुहितृसुतश्रोतृयालकसयाज्य राध्यापकआचार्यःएकशारवा यापनक्षमःश्रोत्रिय ऋत्विक अवयवादियज्ञकर्मकृत्सएवसः || याज्य यजमानसहितःशेषाःप्रसिधाःगएतेषुप्तेषत्रिरात्र।सोदकस्तूमयोनि मोदक समानोद ||| कासप्तमपुरुषानंतरंसमपुरुषावसानःसउभयजाताशीचेमृताशौचेचत्रिदिवसमेवाशचिरझवि स्यातमा For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir यथासहस्पतिः। महमानाबाहाचार्य गोत्रिय शनिवेरिनिय नशामवेताश्च / मृतेचलिीजयाचत्रिरात्रेणविशाध्यतीति याज्ञवल्क्यापि // संलिनेपक्षिणीरात्रिंदोहित्रभगिनीसनगम स्त्रीपुभिरात्रंभिदिवस मशचिःसोदकरतूभयत्र॥॥ स्कृतेतत्रिरात्रस्यादेवंध व्यवस्उित्तइति॥ मनुरपि जन्मन्येकोदकानांनुत्रिरात्राच्छतिरिष्यते ||शवस्पृशोविशत्यतिन्यहान्दकदायिनइति // 7 // 7 // 7 // 5 // 7 // For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir अधारमरत्नेमाह। पक्षिण्याशीनमिति॥ ॥ऋलिगादयोभागिनेयाताःप्रमिथाः तेषाप्रयाणे मृत्याचतियावत् // मातामत्यांचविरतायांपिनो स्वसरिमानुष्ठसरिपिलवसपिचविरतायामातुले चपिरतेमातुलायामातुलपल्यांचविरतायांपक्षिणीआशौचकारणम्॥अथोसज्योतिरिति।स्वविष यनपतोस्वदेशाधिपतोनष्टेमतेग्रामनाथेचनष्टेसज्योतिरेनकाल शखिहेतुः॥समा ज्योतिरादित्यो पक्षिण्याशीचमतिद्धहितसुत्तसहाध्यायिचंधुत्रयांतेवासिश्वश्रूसमित्रश्च शरभगिनिकाभागिनेयप्रयाणे॥ नक्षत्रंवायसिपनमज्योतिःज्योनिर्जनपदेतिसूत्रणसमानस्पसः॥दिनानष्टेयावत्सूर्यदर्शनंअशथि नक्षत्रदर्शनाछुद्धिः॥रात्रिनहेतुराव्यवसान पर्यतमेवाशत्तिःसूर्यदर्शनाछुद्धिरित्यर्थः॥अत्रयेषांपूर्वरत्नेत्रिरात्रमुक्तंतेषांपुनः पक्षिणीक For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir कथनंदेशकालादिभेदनोव्यवस्थापनीयम् एतस्यपाक्षिण्यमिधानस्यश्वकरयोग्रभागन्यांमातलान्यांचमातुले। पित्रोःस्वसरितहचपक्षिणीक्षपयन्निशामिनि तथा ॥मातुलेश्वशरेमियेगरोगुगनारूच॥ आशोचंपक्षिणीरात्रिमतामातामहीयदि॥ नथाच॥ पक्षिणामसापडेयोनि मातामत्यांचपित्रोःस्वसरिचविरतमातुलेमातुलान्यांचाथोसज्योति रेवस्वविषयनपतोग्रामनाथचनटे॥॥.. संबंधेसहाध्यायिनीचेत्यादिवचना निर्मूलं॥अथसज्योतिरेवेत्यस्य॥प्रेनेराजनिमज्योनिर्यस्यस्यादिषयेग्जितिरितिमनुवचनमूलंगया | 10 मेश्वरेकुलपत्तोश्रोत्रियेवातपस्विनिमशिष्येपंचत्वमापन्नेशहिर्नक्षत्रदर्शनारिति॥याज्ञवल्क्यच चनंमलंग॥ For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir अथनवमंहतमाह॥ ॥शिष्येनि। एकदेशाध्यापकउपाध्यायः अनूनानोंगानांपवता ॥सगोत्रश्चनुर्दशपुरुषानंतरंसप्तपुरुषावसानःइतरस्पष्टम् // एनेषुशिष्यादिषप्रमानेषुएकरात्र / महोरात्रमाशीचमिलिशेषः॥तथास्वगृहपरमतोमातलेचेकरात्रम्तथासब्रह्मचारिणिचक राप्रमाएकाचार्योपनीतःसब्रह्मचारीनस्मिनगृतसतिरात्रिमहोरात्रमाशोचमिति // गुर्वनेवास्थ शिष्योपाध्यायबंधुत्रयगुरुतनयाचार्यभार्यासगोगनूचानःश्रोत्रियेषुस्व गृहपरमृतीमातुलेचेकरात्रम्॥ नूचानश्रोत्रियेषचेनि। याज्ञवल्क्यस्मरणात्म बंधुत्रयग्रहणेनात्मबंधकापिरसंबंधवोमारसंबंधवश्वोपगृत्यतेबंधुत्रयलक्षणंत्वित्थंगआ। त्मपितवसापुत्रा आत्ममातषसासना॥आत्ममातुलपुत्राश्वविज्ञेयाआत्मबांधवाः॥९॥ For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir पिनुःपितृष्वसःपाःपितुर्मानुष्यसःसनाः॥ पितुर्मानुलपुत्राश्वविज्ञेयापितांधवा॥ 2 // मातुःपिनसापुत्रा मातुर्मातष्वसःसताः॥ मातुर्मातुलपुत्राश्वविज्ञेयामानबांधवाः॥३॥ विज्ञानेश्चा |राचार्येारव्यातत्वात्। त्रिरात्रमाहराशीचमाचार्यसंस्तितेसतिगतस्यपुत्रेचपल्यांचदिवारात्रभि निरितिरितिमनुस्मरणात्म्यहमेकोदकानांनुगोत्रजानामहस्मृतइनिजाबालिवचनात् ॥असपिंडेषस्त्र राधिसब्रह्मचारिण्यचतुकथमपिस्वल्पसंबंधयुक्तस्मानंवासोयुतस्या दिदगपिसंकलंसर्ववर्णेवुतुल्यम् // 9 // वेश्मानमतेषेकरात्रमिनिविणुस्मरणाच अत्रयेषांपुनर्गहणंतेषामसन्निधानादिनाव्यवस्थाद्रष्टव्या॥श्रोधियस्यसमानग्रामीणस्येति, व्यारव्येयम्॥एकाहंसब्रह्मचारिणिसमानग्रामीणेच श्रोत्रियइत्याश्वलाय नवचनात्॥ // For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir ॥अथनुसथमपिस्तस्पसंबंधयुक्तस्मानंगसोयुतस्यादित्यत्रअथशब्दोधिकारांतरसूचनार्थः कथमपि-|| किनापिप्रकारेणास्तपेनापिसंबंधनसंबंधिनिभगिन्यादसिंरिखतौस्नानंवासोयुनंसचैलेंस्नाशी स्यात॥ नान्यदित्यर्थः। तदुक्तम्॥याज्ञवल्क्यमुनिना। भगिन्यांसंस्हतायांतुभ्यानर्यपिचसंस्कृते॥मि विजामातरिप्रेतेंदोहित्रेमागिनीसने॥शाल केतकतेचेचसद्यःस्नानेनझल्ल्यनीति॥इदमप्युक्तंसकल बत्थाशोचस्यमध्येलपरमपिसगंवरपकंचासजातिप्रेनेजात्यंतरंचायदिन पतितदापूर्वशेषणहत्यिः॥ माशोसनवणेषतुल्यम्।साधारणमिनिस्पष्टम्॥९॥ इदानीमाशोचमध्येआशोचांतरसभिपातेतन्निर्णयंदशमननेनाह॥ ॥रत्याशौचस्पेनि बस्था शौचस्यमध्येपूर्वप्रचलाशोचस्यमध्ये यदितपुनरपरंअन्यदपिसमंदशाहाशोचमध्येदशाहमाशोचं For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir नि. कावल्यकंचाधिराजादिकमाशोचंचासजानिसमानजातीयम् जाताशौचमध्येजाताशोचंमृताशोचमध्ये 12 मलाशोचावनितापूर्वशेषेणशदिशासमंवल्यस्वेत्यनेनस्वरुपाशोचमध्येपतितस्यदीर्घाशोच स्पनपूर्वेणशद्धिरित्यादिवेदितव्यम्॥ तदुक्तमुशनसा। स्वल्पाशोचस्य मध्येतुदीर्घाशोचं भवेद्यरियनपूणे वधिःस्यातकालेनैवशभ्यतीति तेजात्यंतरंजाम तथापेतेपेनाशोचमध्येयरिजात्यंतरंविजा तीयंजननाशीनं भवतिमतदातुपूर्वणमनाशीन्देनेवझयिः एतेनजाताशोचमध्येसंजालस्यप्रेताशौ। रस्थनपूर्वणशुद्धिरित्यपिज्ञापितम्॥शावेनशध्यनेसतिर्ननिःशावशोधिनी तिस्मरणात्॥ हा / यातात्रिशराधिमात्रावशेषेयधाशोनांतरंपूर्वोक्तंभवेत्॥तराहाभ्यामपरदिनाभ्यांशन्धिः त्रिभि|| || रपरदिने यामिनीयामशेषेइनिग यामिन्यायाम स्तुरीय प्रहरम्तन्मात्रावशेपेतुरीयप्रहरशेषत्रितिर || परदिने:पूर्वशोनाधिस्विमिरुत्तरदिवसेःशसिनपूर्वाशोचशेषमात्रेणेतिभावः। अथमर्थ // For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir रात्रिमाप्रावशिष्टेपूर्वाशीचेयद्याशोचानरसभिप केलाहपूर्वाशेषसमाप्यानंतरंगभ्यारात्रिन्यांशधि प्रभा पुनस्तस्यांगत्रे पश्चिमेयामेजननायाशोनांतरसन्निपाततिमिःवधि नपुनरत्तच्छेषमात्रेणरा शेषेसतिहापयांप्रभातेतिमृतिःस्मृततिगोतमवचनावपिनोविशेषमाह। नेवाशीचे नपित्र्यमितिमअन्याशौचमध्येपनियपियंमानपित्तसंबंधिआशोचंतत्पूर्वाशीचशेषेणनेवश हरायांतद्राविशेषेधिभिरपरदिनैमिनीयामशेषे / स्येत्॥पितुरुपरमेमातुर्वोपरमेतदशाहमेवाशद्धिरितिभावश तयोर्मात्रपितविरनिनिमित्तयो पर स्परंसन्निपातेपिनपूर्वशेषेणझद्धिःकिंतुमात्राशोचमध्यपतितस्यापिपित्राशौचस्यनसंकोचः॥ मातर्विशेपमाहापितुरुपशमनेपक्षिणीमातृमृत्यावित्तिापितुरुपशमनेपित्राशोचमध्येमातम For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir चिंकी त्योमानमरणेजानसनिपक्षिणीअधिकामाथिहेतुर्नतुयाचदशाहमितिभावः। अयमर्थ।मानरि 13 / पूर्वमृतायांतन्निमित्ताशोचमध्येयदिपितुरुपरम स्यात्मनानपूर्वशेषेणशत्यिभकिंतुपितुःप्रया गनिमित्ताशोचकालेनैवशद्धिःकार्यालथापितुःप्रायणनिमित्ताशोचमध्येमातरिस्वर्यातायाम जैवाशौचेनपियंपितुरुपशमनेपक्षिणीमातृमृत्यौ // 9 // पिनपूर्वशेषमात्राच्छुत्थिाकिनुपूर्वाशीनंसमाप्योपरिपक्षिणीक्षपेदिनि मतथाचस्पतिशमानर्यो / 13 प्रमीतायामझत्यौनियतेपिता॥पित्तःशेषेणशत्थिास्यान्मातःकुर्यात्त्पक्षिणामिनि॥९॥ // // // For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir |अकादशमनंसल्लिनि॥ ॥सर्वमिदमाशोचंयद्याशीचांनमध्यएवविदितंज्ञानं भवति तदाशेष || मात्रेणशद्धिादशाहमध्येयावत्यवशिष्टदिनानितावन्मात्रेणाधिनतुज्ञानदिनादारयेत्यर्थः एवं वादनाद्याशोचपिष्टव्यमा पोषितेकालशेषस्यादितियाज्ञवल्क्यस्मरणात्मदाहाहादाहितामोइदमा, शोचंहितामोसामिकेमृतेदाहाहान्दाहदिनसतोदशदिनकुर्यात्मनपुनमरणदिवसतः॥अन्यत्र सर्वत्वाशौचमंतर्यदिविदितमिदंशेषमात्रेणशत्थिर्दाहाहादाहिताग्नोमरण दिवसतोन्यत्रयोदशाहम्। अनाहितागोत्तमरणरिवसनः कुर्यान्ननुदाहदिवसता अनमिमतउत्क्रांतःसामे संस्कारकर्मणनिश्रवणादाहिनागोपितरिदेशीनरमृतसूत्रादीनां संस्कारासंध्यादिसर्वलोपोनास्तीत्यत्तसंधेयम्साग्नेःसंस्कारकर्मणःशतिःसंचयनंदाहान्मृता For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir 14 हस्तयथाविधीत्यंगिरोवचनात् ॥आशोनांतेयकलाशचिर्भवतितदाह पूर्णेस्मालेनिनपूर्णेआशी // चेसचेलंसवस्त्रंयथाभवनितथास्मात्वाविहितकृतीवेदोक्तस्वाधिकारिकदेवपितृकार्यअहंकायो-|| ग्याःस्युःज्ञातयइतिशेषः // सूनिकायाविशेषमाह॥ सूतिका विनिक सूतिकातुपुनस्त्रिंशदात्रं पूर्णेस्मातासलंपिहिताहतकताबईकाःसूतिकातुत्रिंश द्रानयोग्यासरपिटकरणेविंशतिपुत्रसूरक्त॥११॥ // निहितहितकचौपितृसरकार्यशोग्यानझपानभवतीत्यर्थः तत्कन्याप्रसवे॥पुत्रप्रसवेत्तुविशेषमा / हाविंशतिपुत्रसूस्त्विति।पुत्रजननीतुविशदात्रमुभयकार्ययोग्यानभवतीत्येवान्वय सूतिकांप | 14 अवतीम विशदात्रेणकर्माणिकारयन्मासनस्त्रीजननीतिपैतानासस्परणात॥१९॥ // 5 For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir // अथद्वादशचत्तनिहन्यान्यामतिः // // नित्येत्यत्रभन्यसमसापडंसवर्णनित्यदिवसमझनिर्भया निएनदहोरात्रमतगृहवासिनोऽतदन्ननोजिनवज्ञेयम् नगृहगासिनस्तदन्नरवादनास्मिराजेनदन्नाशि नस्कदशरात्रामनिज्ञेयम्।नयाचमन असपिंउंजिनविप्रोनिहत्यधुवन्॥विशल्यनित्रिरात्रेणमा तुगतांश्वगंधवान्।यचन्नमतितेषांनुरशाहेनैवात्स्यति अनम्नन्नमन्हैवनचेत्तस्यगृहेवसेदिनि / नित्यान्यंप्रमानंदिवसमशचिकोऽथासवर्णतदुक्ताशोचोथानाथमाद्यक तुशतफलभागापूवेनेवरुध्येत्॥ अथासवर्णस्नेहवशान्नित्यनटुक्ताशोचःयज्जातीय स्पनिर्हणनस्मेतिमाशोचंपस्यस नथाहिजाह्मणश्वेच्छूट्रनिर्हरेत्तरामासमझाचगनथास्ट्रवेनवा // ह्मणंतरादशाहमिन्यादिशेयं ।एवमवरम्बेदर्ण:पूर्ववर्णमुपस्पशेपूर्वोनावरंनजतनछनोक्तमाशोचमिान]| For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir विकी रचनान अवनिर्हरणोपस्पर्शशदात्यांप्रेतवहनलक्ष्यते॥ एतस्या पवादमाह॥ अथ नाथामान 15. // अनाथप्रेननित्यायकतुशतफलभाग्भवेत् आद्यऋतुज्योतिमःआपूवेनशन्ध्यत्। स्नानमाये // णशदोभवेत्सवकारेणस्नानानंतरमाशोचनिति पतिपादिता।यथाहपशशरा अनाथंब्राह्मणं य नीत्वोपाध्यायमातापितपरमगुरुन्ब्रह्मचारीनदोषी नयेवहंनिरिजातया परंपरेयज्ञफलंमानुपूर्यामंतितेशननेषांअशभकिंचिसापनाशभकर्मणांक 1. जलावगाहनात्तेषांसद्यःशोरविधीयते॥ अथब्रह्मचारिणविशेषमाह। नवनिरापा For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir ध्यायादीन्नीलानिहत्यब्रह्मचारीनदोषारोपभानभवेदिति ।बह्मचारीब्रतान्नानश्यतइतिच॥ आचा मातापित्तउपाध्यायान्नित्यापिननीभवेत्॥ ब्रह्मचारीबातीयत्रोवनपुनस्तस्यवतवंशावतातियाज्ञ वल्क्यवचनान॥ ॥अन्यनिहरणेदोषमाह। नेपोन्यमिति तश्यउपाध्यायादिश्योन्यानहनः तेश्योन्यनितोस्यवतमापविनतंत्रश्यनेवश्यमेव // 12 // अन्यनिहरणकुर्वनोऽस्यब्रह्मचारिण:विन विस्तृतचिरार्जिनमितियावताननमय वश्यंत्रश्यति ब्रह्म चार्यात्त्यतोभवतीत्यर्थः ब्रह्मचारिणःशवनिर्हरणनिमित्तकर्मणोव्रतान्नितिरन्यत्रमातापित्रोशितवास For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir वचनात॥२॥ भएनिहरणाशीपुत्त्वाभगमनाशीचंत्रयोदशहनाह॥ तुस्पति तुल्योलशान यानेब्राह्मणस्यब्राह्मणानुयानेएवंक्षत्रियादेरपिस्वस्ववर्णानुयानंतल्यानुयानंउत्कृष्टानयानंतक्षत्रियस्यबामणान्यानवेश्यस्यब्राह्मणसत्रियानुयानंतथासदस्यहिजानियानुगमननादचतवनस्पोकशातयान नास्मन्सनेचसनसहिनक सवस्त्र प्रभासनद्याोआप्लुत्यस्मात्यापन्हिस्पृष्ट्वाआज्यंघृतंप्राश्यविशुन्थ्ये तुल्योत्नशनुयानुक्सनसहितकोंभस्यवापुल्यवन्हिस्पष्टचाज्यंपाश्यास्ये दयादिनमशचिहीनवर्णानुयान॥ भासमेनहाक्यानुकथन। तत्राअनुगम्येच्छयाप्रेतंज्ञानिमज्ञानिमेववागस्नात्वासचेलंस्पृस्वामिंधूनप्राश्यविशध्यतीनिमन | 15 वचनमूलंवदितव्यम्॥ हीनानुगमनाशोचमाह॥अथदिनमिति॥ ब्राह्मणादेःक्षत्रियाद्यनगनेअन|| - For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir गंताब्राह्मणादिनिमहोरात्रमशरिर्भवतीतिशेषः॥ पक्षिण्येकातरेपि॥ एकांतरानुयानेब्राह्मणाम्पतेश्यानुयानेक्षत्रियस्यचदानयानेपक्षिणीअशचितानिमित्भवेत् ांतरत्वेत्रिरात्रमारतरतेवा ह्मणस्यशदात्यानेधिरात्रंअनुगंताबाह्मणोअझचिर्भवेदितिसंबंधःत्रिरात्रानंतरलत्पमाह। धि पक्षिण्येकांतरानुनजनहावांतरत्वेत्रिरात्रंकत्वास्नात्वासनद्यामसु यमनशतंसर्पिराशंचकुयुः // 12 // राहत्वामुनद्यामुत्तमजलेस्मात्याअरूयमनपा णायामःतछनकर्यात्म तदनंतरंसर्पिराशंएनप्राशनंचवर्यः एवंशयाभदतीत्यर्थः। तथाचपराश रगतीभूतंतुयःशदंब्राह्मणोजानदुर्बल अतुगछेन्नीयमानंसविरात्रेणशभ्यनिमत्रिरात्रेतत स्तीर्णनहींगवासमुद्रगान मामासारशतकलाप्राश्यविशुध्यतीति // 13 // For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir की अथाधिकारिविशेषणाधिकारविशेषेचतुर्दशनदर्शयति / सतानेति। तातःपिता अंबामाता आचार्य-उपनीयवेदाध्यापकाएश्य अनलजलतिलान्ददातीत्यनलजलतिलदः॥ एवंविधोब्रह्मना) शतीयाशौचनीयाशीचवानभवति। तदीयाशीचशत्थ्याशत्योभवतीत्यर्थःगअन्येभ्यस्ततः नातांवाचार्यकेश्योनलजलनिलदोब्रह्मचारीतदीयाशोचोन्येश्यस्तत हःपुनरुपनयनंन्चाधिकंकारयेत्तु॥ नलजलतिल नदीयाशौचासन्नाशेचांतपनरुप|| नयनमधिकंकारयेत्॥तनःशयोभवतीत्यभिसंधिः॥ एतच॥आचार्यपिपाध्यायान्निर्हत्या | पिवतीव्रती संकटान्नचनाश्नीयान्नचतेःसहसंविशेद। इत्येतघ्यारयानमितासरायांस्पशकता For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir ॥अन्येत॥अन्येब्रह्मचारियतिरिका-भज्ञालिकेन्योयद्यनलजलसिलान्दतिनदानयक्ताशमास्युः॥ तदाशीचभाजत्यु नदीयाशोन्येनेदाशीचरंतःस्फरिनिनापर्यम्॥अधिकंसछत्रयंचापिकर्यःततःकडा अन्यत्वज्ञानियोयदिग्दतितदानत्प्रयुक्ताशभास्यःकर्यकत्रयंवा धमदहननिधोतंनमेवामुवंति // 14 // || भवतीत्यर्थः अधमदहनविधीयदाअधमराहकास्नदानंतरमेवभावंप्रामुनितेनतेनाधमेननत्याभवतीत्यर्थः। एतञ्चनोनमस्तर्पयेन्नाचंइत्यनंनभनिनिम् meri For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir विकी // अथरेशांतस्मृतस्यशरीराला भेटाहविधिपंचदशरत्नेनाह॥ ॥पालाशीति॥ // आहितामे सामिक | स्यास्थितिःप्रतिलतिरुत्वामनदलामेशोनकादिगृत्योतविधिनापालाशीपालाशनिर्मिनांप्रतिकातहत्वा तांचररध्वाज्ञातयोदशाहाबाशोचास्यानतइतरनणांअनाहिनामीनांपालाश्यादिपतिहतिंकवादग्ध्या 19 पालाशीमाहितामे प्रनिरुतिमथवास्थानिदग्धादशाहाया शौचाज्ञातयस्सुस्ततइतरनृणांस्त्रीण्यहान्येवर्यः / / ज्ञातयस्त्राण्यहानित्रिदिनमाशोचंकर्य-ममत्रोभयत्रमूलंबसिधवचनमबभाहितामिश्रवसनाम | 18 येनपुनःसंस्कारकत्वाशववदाशोचं अनाहितागोत्ररात्रमिनिममपिंडैर्जलसंमिश्रेर्दग्धव्यश्वनथा For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir मिनाप्रसोरवर्गायलोकायस्वाहेत्युल्कासपांधवो एवंपर्णशरंदग्ध्वात्रिरात्रमशचिर्भवेदितिच॥अन्योविप्रादित अन्योऽअसकुल्योदशाहाद्याशौचचतांगृहेअदनंअन्नसहरेकवारमपिअदन्झंजन्तावदाशोचकृत तेषायावत्कालमाशोचंतावदाशीचरुतअशचिःस्यात्मनेआशोचानेनहतमपिचरेत्॥आशोचाते अन्योतिप्रायशोचेसकृदनमदस्तावदाशोचहल्याद्यावत्ते पानदंतेव्रतमपिचचरेद्रोदनेवेकरात्रम् // 15 // // यस्पयनविहिनंनदपिचरेत्कुर्यात उभयत्रदशाहा िनकुलस्यान्नंनझंजीतइतिनिषिसाचरणादिनिभान भरोदनेवेकराधमितिसेतस पिंडेःसहरोदनेहतएकरात्रमाशोचरुत्स्यात्॥लथाचपारस्करामृतस्यगं|| धःसाईकृत्वातुपरिदेवनं। वर्जयेत्तदहोरात्रंदानं श्रासादिकर्मचति // 1 // . For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir // ॥अप्राशीचशदनाशचित्तवाचिनास्पृशत्वस्यप्रतीनोस्ट्याजानायांजन्माशोचेनदपवादंषोडशवृत्ते- | नाह॥ ॥जन्मनीतिजन्मनिमित्तास्पृश्यताकुलमुवांसपिंडानांसोदकानांचनोभवति। किंतु॥ मानव | जमातुःसूतिकायास्त अस्पृश्यनाप्तवत्येवेत्यर्थः॥ पिनुर्विशेषमाह॥स्नानादूर्ध्वसचेलादिनिमसचेल जन्मन्यूस्पृश्यत्तानोभावनिकुलवामानवर्जपितस्तस्मा नादृर्वसचैलादथनिधनरुताशौचकेस्पेत्रिभागे। // स्मानादूर्वपित्तरस्पृशतानोभवतीतिपूर्वेणसंबंधातथाचसंवर्तः॥जाने पुत्रपितुस्मानंसचेउताव || 19 धीपत माताशद्वेदशाहेनस्नानान्तुस्पर्शनंपितुरितिम गिराश्च॥ सूतकेसूतिकावर्त्यसंस्पर्शीन For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir || निषिध्यनइति मनाशोचेप्यस्पश्यत्तसंकोचनमाह॥अथेति॥ निधनलताशोचकेमरणनिमित्ताशोच / / | के अन्येत्रिरात्रादिकेत्रिभागेत्रिधाविसक्तेपूर्वी शस्योपरिप्रथमांशादुपरितनंयागइयंतत्रास्पृश्यतानो || पूर्वाशस्योपरीत्थंमहतिचयदिसंचायनरत्तमासी भवनातिसंबंधः॥ इत्यं महनिचदशाहादिकेपि एवमेक्यदिसंचायनंस्डिसंचयनंप्रथमदि नएवहत्तमासीत्तदैवायविभागलक्षणप्रकारः। नोचेयदिनुनतहतस्यात्तहिनस्योपरियादस्थिसंचय For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 2. त्रिकी नानंतरंरिनानित्रिधाविभज्यप्रथमभागस्यत्वाउत्तरभागडये स्पृश्यनानोमवति॥पूर्वभागेतुभवत्येवे| नितात्पर्यम्॥स्वाशौचकालाहिज्ञेयंस्पर्शनंतुत्रिभागनाइविक्षत्रविप्राणांयथाशास्त्रप्रणोदितमि तिस्मरणान॥ नयाादशाहारित्रिभागेनहतेसंचयनेमान॥अंगस्पर्शनामउंतिवर्णानांतत्वदर्शिनः बिचतुःपंचदशभिःस्पर्शावर्णाःक्रमेणवितिदेवलस्परणात्॥ अथतु॥अत्यधिकारांतरेगृहजयोःस्व लोचत्तस्योपरिणादयतुगृहजयोर्दासयोराप्नोय॥१६॥ ॥अन्नेनोपात्तयोस्तविरजनिचरणात्तदासादिकानां ग्रहोसन्नयोर्दासीदासयोरापूवोर्ध्वग्नानानंतरंभस्पृश्यतानोतचनीतिसंबंधः॥१५॥ दामभेदेनास्य श्यत्वकालभेदंसप्तदशासनपूर्वानाहअन्नोन अन्ननोपात्तयोरन्मदानेनगृहीतयोर्दासीदास For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir यो नुपुनःधिरजनिचरणादभिरागमनालअस्पृश्यनानोमवतीतिपूर्वपलोडगनेनान्वयनशनपूर्व स्माहिशेष उक्त मदनदासादिकानांस्वाम्याशौचाहसंरच्यासमदिनगगनाभस्पृश्यतानोभवतीत्येवा न्वय-भादशदेनयारिकानानांसंग्रहःमस्वामिनोयान्याशौचरिनानिलेशंसंरत्ययासमदिनानामतिक्रमणादूर्धमित्यर्थ अन्यत्नुसूक्तंदासस्यस्वसाम्पकर्मण्येचयोग्यताना तु कर्माधिकारेतथासिकापा 2 स्वाग्याशौचाहसरच्यासमरिनगमनादूर्ध्वमन्यत्सूक्तं // दास्याःम्पप्रसवानिमित्नमस्पृश्यत्वंमासमित्येतत्सूतस्पररासायाशोचेसयःशल्येन् / सनःस्पृश्यो / गर्भदासोभक्तदासस्बहानिरितिस्नि नथादासीदासश्वसालमत्यवर्णस्पयोभवेत्॥नर्णम्यावेच्छोनंदास्यामासंनुमूनकमित्यंगिरोवचनंमूलम्वनदानीजाताशौजननिनिमित्तंयत्कार्थन For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir प्रशधिमुत्तरानान जानेपत्येभपत्येजानेनन्मंगलार्थपुनस्यापत्पश्यमंगलार्यकर्मशतात्पन्नहनितस्यामेव निशिचयोग्याइत्यन्नयः॥ अयमर्थः॥ ॥अपस्यमंगलार्थानिकर्माणियस्मिनादनंयस्यां ननिशिनिहितानिते उपथमदिनादिसाध्येषकर्मससर्वेसूनकिनस्तास्मिन्कालेयोग्याधिकारिणोभावंतीतिमातथाचव्यासवाक्यं ममूतिकायासनिलयाजन्मरानामदेवतागतासांयागनिमिनार्यशरिर्जन्मनि कार्निना। प्रथमदिवसेषभेद जातेपत्येतुतस्मिन्नहनिनिशिचतन्मंगलार्थेषुयोग्या सर्वाशोचंसानोभइति यतिवनिब्रह्मचर्गस्थितानाम्॥१॥शवसदा भिवेतेपुनकुनिसनकंत्रजन्म | नानि उक्ताशौचस्यसर्वपुरुषविशेषेऽअपनारमाहम सर्वाशीचमिति / एतत्सर्वमाशोचंसदासर्वकालंयतिः 29 सन्यासीवनीवानप्रस्थ ब्रह्मचर्यस्थिताभयवियौनाजरीनधिकोपकर्वाणश्चएतेषांनोभवति / For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir एनेययारयोनकचिदप्याशीचभाजोभवतीत्यर्थः॥११॥ अययेषयेषकार्यषुयेबांयेषांमतिकानांनका लिवालधिनेपानामशादर्शनरत्तेनाह। तत्तत्कार्येषिनि // // येषांयानियानिकार्याणिजीवितार्थेविाह नानिनेषांनेषु नेषुकर्नयेषअनन्यसाध्ये मत्र्यादीनांस शोचंसदानोमाननीनिसूर्यश्लोकगनेनान्वयः॥ अत्र ननकार्येषुसत्रिवतिनृपनृपवीक्षीतालक्लदेशानश्यापत्स्वप्य नेकश्श्रुतिपरनभिषककारुशिल्यातुराणां सत्रिणोन्नसत्रप्रवत्ताः॥ बनिनःप्रार व्यप्रायश्चित्तलक्षणबना मन्पोराज्यभिषिक्तानपवानाजसेवक दीसिनोयागकर्चामभान्विअध्वर्यदा|| रिकर्मकार अनेकश्रुतिपरनोबहुवेदशारवाध्ययनशील आनुरोरोगी अन्येनुप्रसिहा एषांसर्वाशीचं || For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir निकायसवाल संभारदानादयान्सवाना मसिद्धानेससंभारसनिपाद्यमानेषु एतदर्भेन्नि ___ 22 मिनेकार्याएनःसन्याराम संसाध्यमानकार्येतियाचनाएनेपांस शोचंनोभवतीय नेनेनसंबंधामनया चाज्ञवस्यवचनम्।कत्विजादीक्षितानांचयज्ञियंकर्मकुर्वनांगमात्रबनिब्रह्मचारीदारब्रह्मविदांतथा संप्रारब्धेषुदानोपनयनयजनश्रात्ययुधपतिराजूडातीर्थार्थयात्राजप परिणयनाद्युत्सवेषेतदर्थे॥१०॥ // // // // दानविनायज्ञेचसंग्रामेदेशविपूवे॥ आपद्यपिचकशायांसद्यःशोचविधीपराइति॥ ॥कशापदोहार्म क्षाद्या तथाप्रचेतोवचनमपि कारवःशिल्पिनोवैद्यादासीदासस्तथैवच॥राजानोराजश्त्याचसघःशौ-॥ 2 // चापकातिनाइति॥ 18 // 5 // 5 // // // // // For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir // ॥दानींमृत्युनिशेषारप्याशोचापबादमेकोनविंशेनरत्तेनाह ॥नाशोचाइति। पतितासस्मृत्यंतरोता स॥ // पत्यारियातिनीस्त्रीषमतासमरसूतासवाज्ञातयःसपिंडानाशौचाआशौचभाजोनस्युः नथा॥दोषारोपणहेतुनायत्सारवडेवेदानुक्तधर्माभासमाश्रयनेनेपारनडिनः अविहिनलिंगधारिणइनियाव त्। चोरा भननुज्ञाताद्रव्यहारा भाअमरहितासत्यधिकारेण्यकृताश्रमाविशेषपरिग्रहा सरापेयाःनिषि नाशौचाज्ञातयस्यापतितपनिसनब्रह्मनिद्घातिनी दोषोत्पावडिनोराश्रमरहितसुरापेयहीनोपगासु // -इसरापानरताथहीनोपगा अधमेनसहसंभोगरना भासुमृतासचज्ञानयोनाशोचास्युरितिपूर्वेणसंबंधः अनलिंगमविवक्षितंनयासंदोगर्वःनस्मादर्पणनधिपूर्वसाशदिवाकार्तिश्रांडालस्नानपक For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir चमाभिमरपन प्रश्नासंबई नानानाशेचाज्ञानयारा एभिर्दैवास नेषुनेदमित्यर्थः पूशलोहंचलनोमि जलंचारिविषवत्सनागारिअनाशकमविहिनोन्नत्याग आदिशच्यावर नवगुपनादिःएभिःप्रकारेश्तेतपिज्ञानयोनाशीचा रसुरित्यन्वयः पारचंडय माश्रितास्तेनामध्याका संदर्पासर्पविपक्षितिपपशुदिनाकीर्तिकायेहनेषुस्वेछा पूर्वनशस्त्रज्वलनजलनिषानाशकाद्यैर्मतेषु // 19 // // मगादिका आधिकारेसत्यपिअहताश्रमविशेषपरिग्रहाआदिशदास्वगर्भबाह्मणघातिन्योगयते।। 22 सुराग्यश्वात्मत्यागिन्योनाशीचोदकक्षाजनाइतियोगीश्वरस्परणार // 19 // 7 For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shn Kailassagarsun Gyanmandir ॥इरानीमाशौचिनांगदुपारयंतरिंशतिनमरत्नाह॥ ॥नाशौरमिति। यानि गनिःमरणमित्तियावत् राजा नंजन्मनन्निमित्तमाशौचयानिजाताशोचंतस्मिनभरुधिमेवानिमित्तांतरकृतवाशोनेए पुशाकादियामभो ज्यांनेषरव्येषुआशौचंआशौचसंबंधिदोषोनस्यान गएनानिसर्गशीचेषपिनाशवानीत्यभिषायः अत्र चमतम्यंनपानिनाशोचमित्यनेनपत्यकंयोन्यानिारयादद्यादिमानिस्वयमिनिअनुमननार गतम्या माशोचंशाककालाजिनलवणवणशीरनीरामिषेषपुष्पेमलेफलेची पधिरधिमधुषुस्थानिलक्ष्वामताज्या म्यनुज्ञयाइमानिशाकानिम्नयमाशोचरहि निःपुमानन्येभ्योदयात् // सयंचायाच्च एवंसनेोपोनभवनात्यभिसंधिानथापणनमपाणनंनसर्वप यशचि स्यादिनिस्पष्टं गनथामरीचिालवणेमधुमांमेचपुष्पमूलफलेषुच शाककाष्ठवणेषप्परधि For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir पिंकी माप पयःसच तिलोषधानिनेवपक्कापलेलयंग्रहः पुण्येषुचैवमर्वेपुनाशोचंपनमच कमिनि ||अत्रपकंभक्ष्यजानम्॥पकंनंदुलादि। एतत्पकापक्काम्यनुज्ञानमन्नसवमहत्तविषयेजयम्मभन्न | 24 रद्यादद्यादिमानिस्वयमनुमननात्स्वामिनीयानिजाताशौचेवाह त्रिमेवापणिनमपणितंचापिसर्वशचिःस्यात् // चमत्तानामाममन्नमगार्हनम् सत्कापक्वान्नमेनेषांत्रिरात्रंतुपयःपिवेदियगिरोवचनान् दानामनेरुपारंयानुपादेयत्वमेकविंशतितमहत्तेनाह॥ ॥जानारण्यामिति ॥अवाकपरि | 254 For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir णयनविध विवाहात्याजानारण्यापनादग्धिहः कार्यः॥ जानारणिर्जानकर्मसमयेयोराणम्नन्यथना / त्पन्नेनेतियावन विवाहादूर्वआधानकालालोताधानादारोणवेचाहेनामिनादग्विलनतरर्धेनुआ। धानकालानंतरंविध्याहितङतवहनैर्विधिनाआहिताविध्युक्ताधानारच्यसंस्कार संस्कृतयेदक्षिणामात्य नानारण्याभिनार्वाकपरिणयनविधेर्दग्धिराधानकालातगृघेणो तुविध्याहितहतवहनैलौकिकेनान्यभावे॥ स्त्रयस्नेरेनदग्धि एनेपांजातारण्यग्न्यारीनामभावेलोकिकेनासंस्कनेनाग्निनादग्धिरित्यन्नयः॥ नटुक्तं / / समयाज्ञवल्यन भाहिताग्निर्यथान्यायंग्भयस्मिभिरामनिधनाहिनामिरेकेनलौकिकेनापरोजनीति For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बिंकी चिल्लोकिकान्पपवादमाह॥ ॥चंरालाग्निमिति॥ ॥प्रेनेटग्धोचंरालाग्न्यादीनजस्यान्नोपाट्यान्॥ 25 नरदेवलेनाडालागिरमेध्यामिःमतिकामिश्रकाचिनपतितामिश्रितश्विनशिष्टग्रहणो चिनइति॥इंधनारावप्यपवारमाह।शूाहतेनेत्यादि।इंधनंकाचंदहनोअनिःसृतमाज्यं आदिशदेन चांडालागिनितामिंपतिनहुतभुजंसनिकामध्यन न्हीन्जन्या छूग्राहते धनरहनतायेनदाहोप्यराहः॥ 29 // // पयःप्रचनियदुपयुज्यने / नसंग्रहःशूद्राहनेनेंधनारिनायोदाहःसोपराहरनियोजनासनोप्यसतएवेत्यर्थः। नयाचाहयमः॥ य || || 25 | स्पानयनिशदोनिंरणकाष्ठहनीपिच नत्वहिसरातस्यसचाधर्मेणालिप्यतइनि॥२९॥ // 5 / / For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir // // ॥अथवाविंशेनरत्नेनरहनेतिकर्तव्यनाधिकारणाचाह। समिनि // एतत्सर्वाहादिलत्यम्। उपनय नविधेःप्राक्तूष्णीममंत्रकमेवविदध्यातथाचोत्तमलोमाक्षिणातूणीमदोदकंजर्यातणीसंस्कारम वचतिक्षपरंतुउपनयनानंतरस्नग्रयोक्तैरतनहिधानदिध्यादिनिएष्टम् अत्रचउपेत्तश्चेनदाआहिना सर्नणीविदध्यादुपनयनविध प्रापरंतुस्वशारनागृत्योक्ते स्तहिधानै सकलशंदविधिज्येष्टपुत्रोवरोवा। .ग्न्यादिनाबनार्थचनियाज्ञव नल्स्यदचवमनुसंधेयम् इरानीमधिकारिणनिरूपयति // सकलेति // सकलंसर्वशवविधिप्रथमदिनमा रभ्यदशा हो स्मग्रन्योक्तंकर्मज्येपपुत्रोऽनुपपत्यावरोवाविदध्यारितिसंबंधः॥ पुत्राभावेकर्तविशेषदर्श For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir बिका यति॥मेणेनि॥कमेणपूर्वाभाने परइत्यनुक्रमेणास कुलजःमपिंडःमोद कोवानभावेजनन्याश्यवंशनः | नदभावशिष्यः सदभावकालिन नरभानेप्राचार्योनाविध्यारित्यन्वयः सकलेत्यनेनदशाहांनं कर्तृभेदोन / कार्यइनिस्चितमानथाचगृत्यपरिशिष्टे॥असगोत्रःसगोत्रोवायदिनीयरियापुमान्॥ प्रथमेहनियांदया पुत्राभावक्रमेणस्नकलजजननीवंश्यशिष्यार्बिजोवाचार्योग यत्रकामथगदिनविधिसोपितत्सूतकात // 2 // सरशाहंसमापयदिति॥गो तमस्मतिश्च // पुत्राभावसपिंडाःशिष्याचदानदभावकविगाचार्याविति // इदानींदेशानियममाह।यत्रोन, यत्रयस्मिन्देशेप्रथमदिननिधिकुर्यात्सोपिसएनदेशस्तसूनकांतंदशाहपर्यंततत्कर्माहनीतिशेषः॥ पत्रप्रया मदिनहत्यानंतत्रैवदशाहपर्यंनसमापनीयमित्यभिसंधिः॥अत्रदेशनियमेशिशचारोमूलमित्यत्तसंघयं // 23 // For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आनाम्न नामकरणात्याकापरतेमृतेरगतमात्रंखननमेव मात्रशरार्थस्पश्यनिधनजलहुनहानिनिस्पष्टम् / / नामवर्षभयान नामकरणानन्तभारभ्परपत्रयांन वर्षत्रयमध्येउपरनेजरतवदोकामखेड्यानुष्ठेयोननि यतोपर्षत्रयानंतरंअकृत-चूडेप्युपरनित्यौनियनोभावनः। ॥छनचूडेनविशेषमाह // चौलयुक्तनि योकालाविशेषारितिकालविशेषार्षत्रयात्प्रागपिरूनचौडेनित्यावित्यर्थः॥ वननविधिमाह ॥अथति। आनाम्नःस्वात्तमानजननहोनामनर्षत्रयांनं कामं चोर्धनित्योभवनउपरतेचौलकेचोलयुक्ते॥ // पिन्टमरवराःपिन मुरव्या रचननेयोग्यप्रेनस्मापयित्वा अयानंतरमंगरसरगंधायैःशोभायलाान्ये विसिष्यनिरवननेयुरिनिशेषः अत्रमूठेऊनदिवनिरवनन्मकुर्याटुदकननरनियाज्ञवल्क्यवचनम्।। For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir निकी नाइनाहगार्षिकंपेनिट्सभिवावहिः॥अलंकृत्यकचोभूमावास्ड संचयनारने।नास्यकार्यामिसंस्कारो, || नापिकार्योदकत्रिया॥अरण्येकाष्ठवस्यकाशिपयस्यहमेवत॥ ॥तिमत्तवचनं। नथा। उनरिवाषि। नियोकालाविशेषादथपिनमुरवरा स्नापयित्वांपरस्त्रक गंधायेःशोभयित्वागतमथरसननेयोग्यमाज्यविलिप्य॥३॥ कंप्रेशनातं निरख नेहहिः॥ यमगायांगीयमानोयममूक्तमत्तस्मरन्निति // यस्पमरणेचमूलमित्यनस-२७ धेयम्॥२३॥ इदानींशवानयनेवर्णविशेषणहारविशेषमाह॥ ॥प्रत्यकहानि॥ // For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir अवनिमरंब्राह्मणंम नगर्याःप्रत्यग्हारानपश्चिमहारेणबहिर्नायपित्तासर्पज्ञानयोचयिःपूर्वरपुरःसरमना यायु अनुगछेयुः अयमनुगमननियमोहिवर्षाधिकमनोज्ञेयः॥ तथाहयाज्ञवल्क्यः॥आश्मशानारनवज्य इनरोज्ञातिभिःसहति / / क्षत्रियंतरहारेण वैश्यंभाग्यरेण // पलंशदंदक्षिणस्यादिशियवहारतेननायाय) प्रत्याहारान्नगर्यावहिरवानसुरक्षत्रियंतॄत्तरेणारा रेणेनवैश्यपिददि शिरपलंनाययित्लागायुः॥ // वासर्वेज्ञानयानयापूर्वरपुरःसरमनुयायरित्पन्नयः॥ नथाचस्मृतिः॥दक्षिणेनमतंशरपुरद्वारेणान / हरेन्॥पश्चिमोत्तरपूरतयथारयहिजानयइति ॥इदानींवयोविशेषमृतस्यानुगमननियमापदार For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निकी माहअनरिशासुपस्ताविना इनारदपरतोहिवार्पिस्मृतोसत्यामनयाने नुगमन नियमोन॥ तटुपरतो अनुगमनकर्नयना आवश्यकीनभवतीतियावत्॥ अत्रापिपूर्वोक्तायाज्ञवल्क्यस्मृतिरेवमूलं // अथदस्पर्शनेतहत वहनेचदोषमाहः // शूदेःस्पष्टोथवोटोयरिति॥ यादमृतः॥ प्रेनःशट्रैःस्पष्टः वर्षायःपूर्वमूनहिशरटुपरतोनानुयाननियामःशूटेम्प योथनोटोयदिभवनिनःप्रेतभावान्नमुक्तिः॥२४॥ ॥अथवारदोभवनितदातस्यप्रेनभावान्नसक्तिःएनटुक्तंसत्सब्राह्मणारि चितिज्ञेयं नथाचमनुः॥ नविप्रम // 28 // निष्ठत्सुमतंट्रेणहारयेत्॥अस्वात्याहुनिःसास्यासंस्पर्शदूषिते // 24 // // 5 // For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir ॥अथपंचविशेनयनेनोदकटानविशेषमाह॥ // नानयामापेरा सोटकाच॥ मातापितरोपसिहौ।परम गुरुराचार्योमातामहवाएतेषामंसउदकदाननित्यमयमः।सापंडानामपिंडोद्देशेन॥ सोदकानांसोदको द्देशन॥पुत्रस्यमातापित्रुद्देशेन ॥तथाब्रह्मचारिणःआनार्यादेशेन।यदुदकदानंतन्नित्यमिति। यथाहयाज्ञवल्क्यः सप्तमाद्दशमाहापिज्ञानयोफ्युपयंत्यपरतिनथा।एवंमानामहाचार्यप्रेतानामुदकक्रियान ज्ञातीनांमारपत्रोरपिपरमगुरोर्नित्यममोथमित्र तास्वस्त्रीययाज्यश्वशरगुरुगद्याजकानायथएं। ॥इतरत्रनियमाभावमाह॥ अथामिति // मित्रंसरदा। प्रत्तापरिणीनदुहितास्वसाच॥स्वस्नीयादयः॥प सिद्धाः॥ एतेषांअंभोदानंययेछं।इच्छयाभवतीतिननियतमितिभावः। तथाचयाज्ञवल्क्यः ॥कामोदर For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shn Kailassagarsun Gyanmandir त्रिकी // सारवानास्वरूपायश्वशतिजामिान॥ केषांचिदुटकराने कर्तनापवारमार्॥ नवापेत्यादिना॥ जासः पतितसाविधिकः ब्रह्मचर्यादयःएतेप्रसिद्धाः॥प्रेतायोदकंनदारित्यन्नयः॥तेकदत्यपेक्षायामाह॥ येचने नियेतुअन्नप्रेतप्रसंगपिंडानलजलकथनानई काःपिंडायोग्यास्तपिउरकादिनदेयुरितिनिइत्य नवायब्रह्मचारिजनियतिपतितकीबपावडचोरार युपेत्तत्रापिंडानलजलकथनानहेकांस्तेनुसूक्ताः॥२५॥ पेक्षायामाह। तोवति॥ तेपुनःसूक्ताःपूर्वोक्ताःस्पशाएवेति। तथाचस्मृतिः॥ नब्रह्मचारिणःकुर्यास्दकंपतितानच॥तथाचरन्मनुरपि // क्लीदाधानोरकंदधस्तेनानात्याविधर्मिणः॥गर्भभदुहवेवस राप्यश्वेवयोषितइति // 25 // 5 // // // // // 5 For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir ॥अथपद्दिशेनरत्नेनसंस्कारानंतरंयकार्यनदाह॥ ॥संस्कत्येनि॥ // नेसकुलकुलभवःममरनज्ञानयः॥बालपू वालप्रमुरंबा प्रेतंसंस्कत्यदाहयित्वासंस्कारस्थलीमनाक्ष्यमाणानादेयेपयसिन जिलाबद्धपूर्वसद्धपुरःस, यथाभवतिनथासबसना सवस्त्राःएकचारंनिमज्यपाषाणेभिरिनवारंसलदेकचारंवानिारनंप्रत्यहंदशदित संस्कृत्यानीयमाणाःसकलकुलझनोवालपूर्ववजित्वाना देयेस्प यसिसवसनाएकनारंनिमज्य॥ // नयासाउदकंददारनिनिसंबंधः दकानेवर्णभेदेन दिनियमविशदयितुंनाचिशिनधि॥ब्राह्मणइत्यादिनाबाहाणेमतवातिदक्षिणारयाः॥दक्षिणाभिमुरदा क्षभियेमनतिरदड्यूरवाःविशिवेश्यनमृतबति For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जिसमा वाइनि। अवमूलंयथाविभागंशरीरममोसंयोज्यमनवेक्ष्यमाणा आपोभ्युपर्यनानिशानातपस्मृतिः। प्रेत 3. स्परांपवायथाचदरकमवतीर्थतेतर्पयेरुदफनेमसिंनेयुः॥अपसव्ययज्ञो पचीनवाससोदक्षिणाभिमुरगोना पाषाणेभिःसरूहापतिदिनगुदाह्मणेदक्षिणास्याःक्षत्रे तूदङ्मुखावैमननतिविशितुप्राङ्मुखास्तेददीरन // 26 // ह्मणस्पउदङ्मुग्नाःप्रामुख्याध्यक्षत्रियवेश्ययोरिति प्रनेतोवचनंययासरुसिंचंत्यदकंनामगोत्रणवाग्यनरनियाज्ञवल्क्यस्मृतिः॥ त्रिःपसेकंकर्यः। प्रेनस्सप्पत्तिनि प्रचेतोचचनमपिमूलमिस्यनुसंपे। य For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir अथसप्तविंशेनहत्तेनउत्कदानाननरंयत्कार्यनदाह॥ // मायुरिति॥ ॥ज्ञानयस्त्रपर्यासन्नाःप || || यसिभूयोपिउदकानानंतरंपुनःस्नायुःस्नानकर्यः। ततस्तै यतकर्तव्यंनदाह। त्रिनिशामिनि विनिशं // विदिनमनशना मंतःअहर्निशमेकमहोरात्रंचाअनशनाकीनोपन्नाशनावासनःकानंक्रयेणमा स्नायुयोपित्तत्रापनिशमनशनाज्ञानयोहार्नशंकाकी तोत्पन्नाशनावामिषलवणपयःक्षारमन्नत्यजेयुः॥ उत्पन्न अयाचितप्राप्तगतदशना वाआमिषलवणंपयःक्षारमन्नंत्यजेयुः॥नयास्त्रीसंगंमंगलानियसनहसन मुद्रोदनोच्चासनानित्यजेया सिनिपूर्वेणान्नयः॥ नथानिशाहत्यमाह॥ ॥तार्णास्तीक्षितौनइनिग रणनिर्मिनयदास्तरणंतत्तार्ण For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir का तेनास्तीर्णाभाचारित्तायाक्षिनिर्भमिः॥ तामिनियताः॥ ब्रह्मचर्यादिनियमयुक्ताः॥ स्थानिशायांसावशेष 21 निस्पटमेतत्॥अत्रक्रीतलाशनाभूभोवपेयुनेस्थकएथगिनियाज्ञवल्क्य वचनम्॥ गृहानबाजि / त्वाधःप्रस्तरेयहमनभंतःआसारन्॥ कानोत्पन्ननवावन्निनिवासववचनम् ॥अक्षारलवणान्ना रुत्रासंगंमंगलानिव्यसनहसनसद्रोदनोच्चासनानितार्णा स्तीक्षितोतेएथगिनिनियताःसंविशेयुर्निशायाम्॥२७॥ स्कार्नमज्जेयुस्ततेत्यहं। मांसाशनंचनाभीयुःशयीय नेटथइक्षिनोइतिमनुवचनम्।तथाधःशया // 3 सनिनोब्रह्मचारिणश्वसर्वइतिगोनमवचनंमूउमनुसंधेयम् // 27 // 5 % 3D For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir अष्टाविंशनिवनेनदशाहसंबंधिविधिमाह संस्कर्नेति॥ ॥संस्कनादाहक दहनत रहनानंतरंभ / त्यहंपनिदिनंदशाहावधिदर्भपंजेभूमावास्यत्तदर्भपंजएकैकंपिड्समधुयथाभवनितथाआचपेनयार दशाहमेकैकमेवपिडंदद्यादितिभावःतथाचस्मृतिः॥ नवनिर्दिवसेर्दद्यान्नवापिंडान्समाहितः।। दशमंपिंडस संस्कन्दर्भपुंजेसमधुदहनना प्रत्यहाँपंडमेकंभूमा देवावपेतप्रथमदिनचरुद्रव्यमेवोपरिशत्॥ // स्मज्यरात्रिशेषेझचिर्भवेत्॥ नाणनिमंत्रणाभिप्रायेणभत्रभूमावित्यनेनपावाणादिव्या दतिःसूनि / तातदुक्तंशरवेन।भूमीमाल्यंपिडपानीयंअनुलेपनानियुरिनि।पिंडदानेद्रव्यनियममाह॥ // For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir त्रिंकी प्रथमदिनेयञ्चरुट्रयतदेवोपरिशयावशाहंकर्त्तव्यनयानरमुपादेयमिनियावत्॥ तदुक्तंझनःपुछम निनाशालिनासक्तुभिपिशाकैर्वाथावनिर्वपेत्॥प्रथमेहनियव्यंनदेवस्याशाह काभान // // अथचयनकालमाह॥ // दाहान्हादेवोत॥ चयनदिनंदाहान्हादेवगण्यनमरणदिनान्संचयनम्॥ दाहान्हादेवगण्यंचयनदिनामदंचादितोन्हांचतुर्णा अस्थिसंचयनंदाहानगृताहस्तयथाविधात्यंगिरोवचनादिनिभावः॥ इदंचयनमादिनः।।दाहदिननःपा, निचत्वाशिदनानिनेषांचतुर्णादिनानांमध्येएकस्मिनदिनेदाहनःसप्तमे वाहनिनवादनेनाकार्यभि For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir निशेषः। तथाचसंचनः। प्रथमेन्हितीयेवासप्तमेनवमेतथा॥धास्थसंचयनंकाटिनेनगोत्रनैःसहा त याचस्मृत्यंतरमपि।हितीयेत्वास्थसंचयइति॥ तथाविष्णुरपि॥ चतुर्थदिवसेस्थिसंचयनकुर्यात मेकस्मिन्मप्तमेवाहनिनवमटिनेचानुपेनेतुनैतत्॥२०॥ तेषांचगंगांभासप्रक्षेपइति॥ ॥अत्तपेनेउपवीतरहिनेएनरस्थिसंचयनादिकंनस्यारिनिग्रंथांतरान ज्ञातव्यम् // 28 // // // // // // // // // For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir त्रिका | अकोनत्रिंशसत्तेनवपनादिविधिमाह॥ ॥वर्षायसानि। // वर्षीयासरडउद्गतेसस्थिनेसतित 33 || नःसूतकांनेदशमेहनिउपरिचपननखडेदनं कनीयांसःकुर्य निशेषः।उपरिपवनमूर्धनकेशश्मश्रुवप नंच॥अथवादचिन्मध्येआशौचमध्यहितीयेतीयेपंचमेसप्तमोदनेवाकर्तव्यमूचरिति। तथाचदेव वर्षीयस्युर्तेतूपरिवपननरवछेदनमतकांमध्येवा केचिदपिपरेमगुरुवेववापादिनित्यम्॥ // लः॥दशमेहनिसंप्राप्तेस्मानंग्रामाइहि वेन॥ तत्रत्याज्यानिवासासि केशश्मश्रुनसानिनि। तथाचस्म त्यंतरम्॥ द्वितीयेहनिकर्नयंभरकर्मप्रयलनः॥ तृतीयेपंचमेवापिसप्तमेवापान इतिवपनापनि For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shn Kailassagarsun Gyanmandir मित्तविशेषेणावश्यकतामाह॥ पित्रपरमगुरुषेवगपादिनित्यम्॥ एप्पेवसंस्थितेषुवापारिनित्यमावश्यकंत्रादीनांनेतरत्रेनिभावः॥ नटुक्तम्॥ गंगायांभास्करक्षेत्रमातापित्रोरौमृते। आधानकालेसो-। मेचवपनंसप्तसुस्मृतमिति // सूतकांतेयत्कर्मकर्त्तव्यंनदाह॥ ॥अत्रनि॥ // अत्रयस्मानक / अत्रस्माशभार्थमणितमभणितंतस्रायोटिलाक खादानचदद्यादशभभयाभदभूसरेश्यःशभार्थ॥२९॥ मकर्जन्यतयामयोक्तम्॥यच्चनोक्तंतत्सर्वस्वगृयोतविदित्वाअनुशायपवादशाभयभिदेशभ नाशायभयाशभप्राप्तयेचभूसरेश्योबाह्मणेभ्योदानंदद्यादित्येततस्पष्टम्॥२९॥ 5 // For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir त्रिकी ॥अथशवंदग्ध्वापत्यागनानांप्रेतगृहपवेशनविधित्रिंशेनरत्तेनाह॥ ॥रत्वेनि॥ // सपिंडाःपूर्वोक्ताःप। रशववहनमापकाचसपिउंदलादत्तोपेंडेतद्देश्मतस्पप्रेतस्यसंबंधिगृहंबजिलास्य वेश्भहारिप्रशमिनमः / नसःअवहिनचित्ताःवेश्यसंना तदनंतरनिंबपत्रंचिदश्यचविलापश्चादाचम्यानंतरमग्यंबुदून:कुरष। दत्वापिंडंसपिंडा परशववहन स्मापकानबाजलानद्देश्यहारिचास्पप्रशाम तमनसोनिंजपत्रविश्य॥आचम्याग्यंबुदूर्वीकरवरभानक्षतानगो मयंचस्पृष्लासिद्धार्थलान्यथरषदिपन्यस्यसर्वेचिशेयुः॥३॥ // भान्गोमयंचसिद्धार्थनेलानिचस्पृष्लाहपदिपापागेपरंन्यस्य॥सर्वेगृहविशेयुरितिसंबंधः। तथाचस्मृतिः। इतिसंस्हत्यगछेय हंबालपुरःसराः॥विदश्यनिंचपत्राणिनियनाहारिवेश्मनः॥आचम्या For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir विकी 35 न्यादिसलिलंगोमयंगोरसर्षपान्। प्रविशेयुःसमात्यकलाश्मनिपर्दशनरिनि॥३॥ इतित्र शलोकाभाष्यसंहितासमाप्ता॥ // अथास्थिशारः। तदुक्तंस्कारे॥ पंचगव्येनसंस्माप्यतन पंचामृतेन // यक्षकर्दमलेपेनलित्यपुष्ये प्रपूज्यच ॥आवेश्यनेचरूनेणतनोमाजिष्ठवासमा। नपा उकंबलेनाथमृदाचाविशदया॥तायसंपुरि केहत्वात्यस्नांशरिरुदाहता। यक्षकर्दमलक्षणं॥ कस्तारकायाहौभागोहोभागोकुंकुमस्यच॥ चंदनस्यत्रयोभागाःशशिनस्केकएपहि। यक्षकर्दमद त्येषःसमरत्तसरदुर्लभः॥४ // // // | श्रीशके 1781 सिमानामादेचैत्रशक्नुचातानपुस्तकसमाप्तम्॥ // // 5 // // पुस्तकापुमदाशिवशेदहोगष्टेयांच्यालापरवान्यांनछापिलें मुकाम मुंबई ओ३ पट्टङ्गलं ओ.३ श्वेतोर्णा For Private And Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir इनिशिच्लोकीसमाता॥ sy NAUNTINESS UKESECRETUR % E 3 D For Private And Personal Use Only
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