Book Title: Trinshshloki
Author(s): 
Publisher: 

View full book text
Previous | Next

Page 34
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir विकी रचनान अवनिर्हरणोपस्पर्शशदात्यांप्रेतवहनलक्ष्यते॥ एतस्या पवादमाह॥ अथ नाथामान 15. // अनाथप्रेननित्यायकतुशतफलभाग्भवेत् आद्यऋतुज्योतिमःआपूवेनशन्ध्यत्। स्नानमाये // णशदोभवेत्सवकारेणस्नानानंतरमाशोचनिति पतिपादिता।यथाहपशशरा अनाथंब्राह्मणं य नीत्वोपाध्यायमातापितपरमगुरुन्ब्रह्मचारीनदोषी नयेवहंनिरिजातया परंपरेयज्ञफलंमानुपूर्यामंतितेशननेषांअशभकिंचिसापनाशभकर्मणांक 1. जलावगाहनात्तेषांसद्यःशोरविधीयते॥ अथब्रह्मचारिणविशेषमाह। नवनिरापा For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75