Book Title: Trinshshloki
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Page 41
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir मिनाप्रसोरवर्गायलोकायस्वाहेत्युल्कासपांधवो एवंपर्णशरंदग्ध्वात्रिरात्रमशचिर्भवेदितिच॥अन्योविप्रादित अन्योऽअसकुल्योदशाहाद्याशौचचतांगृहेअदनंअन्नसहरेकवारमपिअदन्झंजन्तावदाशोचकृत तेषायावत्कालमाशोचंतावदाशीचरुतअशचिःस्यात्मनेआशोचानेनहतमपिचरेत्॥आशोचाते अन्योतिप्रायशोचेसकृदनमदस्तावदाशोचहल्याद्यावत्ते पानदंतेव्रतमपिचचरेद्रोदनेवेकरात्रम् // 15 // // यस्पयनविहिनंनदपिचरेत्कुर्यात उभयत्रदशाहा िनकुलस्यान्नंनझंजीतइतिनिषिसाचरणादिनिभान भरोदनेवेकराधमितिसेतस पिंडेःसहरोदनेहतएकरात्रमाशोचरुत्स्यात्॥लथाचपारस्करामृतस्यगं|| धःसाईकृत्वातुपरिदेवनं। वर्जयेत्तदहोरात्रंदानं श्रासादिकर्मचति // 1 // . For Private And Personal Use Only

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