Book Title: Trinshshloki
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir // ॥अप्राशीचशदनाशचित्तवाचिनास्पृशत्वस्यप्रतीनोस्ट्याजानायांजन्माशोचेनदपवादंषोडशवृत्ते- | नाह॥ ॥जन्मनीतिजन्मनिमित्तास्पृश्यताकुलमुवांसपिंडानांसोदकानांचनोभवति। किंतु॥ मानव | जमातुःसूतिकायास्त अस्पृश्यनाप्तवत्येवेत्यर्थः॥ पिनुर्विशेषमाह॥स्नानादूर्ध्वसचेलादिनिमसचेल जन्मन्यूस्पृश्यत्तानोभावनिकुलवामानवर्जपितस्तस्मा नादृर्वसचैलादथनिधनरुताशौचकेस्पेत्रिभागे। // स्मानादूर्वपित्तरस्पृशतानोभवतीतिपूर्वेणसंबंधातथाचसंवर्तः॥जाने पुत्रपितुस्मानंसचेउताव || 19 धीपत माताशद्वेदशाहेनस्नानान्तुस्पर्शनंपितुरितिम गिराश्च॥ सूतकेसूतिकावर्त्यसंस्पर्शीन For Private And Personal Use Only

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