Book Title: Trinshshloki
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Page 53
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir णयनविध विवाहात्याजानारण्यापनादग्धिहः कार्यः॥ जानारणिर्जानकर्मसमयेयोराणम्नन्यथना / त्पन्नेनेतियावन विवाहादूर्वआधानकालालोताधानादारोणवेचाहेनामिनादग्विलनतरर्धेनुआ। धानकालानंतरंविध्याहितङतवहनैर्विधिनाआहिताविध्युक्ताधानारच्यसंस्कार संस्कृतयेदक्षिणामात्य नानारण्याभिनार्वाकपरिणयनविधेर्दग्धिराधानकालातगृघेणो तुविध्याहितहतवहनैलौकिकेनान्यभावे॥ स्त्रयस्नेरेनदग्धि एनेपांजातारण्यग्न्यारीनामभावेलोकिकेनासंस्कनेनाग्निनादग्धिरित्यन्नयः॥ नटुक्तं / / समयाज्ञवल्यन भाहिताग्निर्यथान्यायंग्भयस्मिभिरामनिधनाहिनामिरेकेनलौकिकेनापरोजनीति For Private And Personal Use Only

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