Book Title: Trinshshloki
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir पिंकी माप पयःसच तिलोषधानिनेवपक्कापलेलयंग्रहः पुण्येषुचैवमर्वेपुनाशोचंपनमच कमिनि ||अत्रपकंभक्ष्यजानम्॥पकंनंदुलादि। एतत्पकापक्काम्यनुज्ञानमन्नसवमहत्तविषयेजयम्मभन्न | 24 रद्यादद्यादिमानिस्वयमनुमननात्स्वामिनीयानिजाताशौचेवाह त्रिमेवापणिनमपणितंचापिसर्वशचिःस्यात् // चमत्तानामाममन्नमगार्हनम् सत्कापक्वान्नमेनेषांत्रिरात्रंतुपयःपिवेदियगिरोवचनान् दानामनेरुपारंयानुपादेयत्वमेकविंशतितमहत्तेनाह॥ ॥जानारण्यामिति ॥अवाकपरि | 254 For Private And Personal Use Only

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