Book Title: Trinshshloki
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir // ॥दानींमृत्युनिशेषारप्याशोचापबादमेकोनविंशेनरत्तेनाह ॥नाशोचाइति। पतितासस्मृत्यंतरोता स॥ // पत्यारियातिनीस्त्रीषमतासमरसूतासवाज्ञातयःसपिंडानाशौचाआशौचभाजोनस्युः नथा॥दोषारोपणहेतुनायत्सारवडेवेदानुक्तधर्माभासमाश्रयनेनेपारनडिनः अविहिनलिंगधारिणइनियाव त्। चोरा भननुज्ञाताद्रव्यहारा भाअमरहितासत्यधिकारेण्यकृताश्रमाविशेषपरिग्रहा सरापेयाःनिषि नाशौचाज्ञातयस्यापतितपनिसनब्रह्मनिद्घातिनी दोषोत्पावडिनोराश्रमरहितसुरापेयहीनोपगासु // -इसरापानरताथहीनोपगा अधमेनसहसंभोगरना भासुमृतासचज्ञानयोनाशोचास्युरितिपूर्वेणसंबंधः अनलिंगमविवक्षितंनयासंदोगर्वःनस्मादर्पणनधिपूर्वसाशदिवाकार्तिश्रांडालस्नानपक For Private And Personal Use Only

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