Book Title: Trinshshloki
Author(s): 
Publisher: 

View full book text
Previous | Next

Page 37
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir गंताब्राह्मणादिनिमहोरात्रमशरिर्भवतीतिशेषः॥ पक्षिण्येकातरेपि॥ एकांतरानुयानेब्राह्मणाम्पतेश्यानुयानेक्षत्रियस्यचदानयानेपक्षिणीअशचितानिमित्भवेत् ांतरत्वेत्रिरात्रमारतरतेवा ह्मणस्यशदात्यानेधिरात्रंअनुगंताबाह्मणोअझचिर्भवेदितिसंबंधःत्रिरात्रानंतरलत्पमाह। धि पक्षिण्येकांतरानुनजनहावांतरत्वेत्रिरात्रंकत्वास्नात्वासनद्यामसु यमनशतंसर्पिराशंचकुयुः // 12 // राहत्वामुनद्यामुत्तमजलेस्मात्याअरूयमनपा णायामःतछनकर्यात्म तदनंतरंसर्पिराशंएनप्राशनंचवर्यः एवंशयाभदतीत्यर्थः। तथाचपराश रगतीभूतंतुयःशदंब्राह्मणोजानदुर्बल अतुगछेन्नीयमानंसविरात्रेणशभ्यनिमत्रिरात्रेतत स्तीर्णनहींगवासमुद्रगान मामासारशतकलाप्राश्यविशुध्यतीति // 13 // For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75