Book Title: Trinshshloki
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir // अथद्वादशचत्तनिहन्यान्यामतिः // // नित्येत्यत्रभन्यसमसापडंसवर्णनित्यदिवसमझनिर्भया निएनदहोरात्रमतगृहवासिनोऽतदन्ननोजिनवज्ञेयम् नगृहगासिनस्तदन्नरवादनास्मिराजेनदन्नाशि नस्कदशरात्रामनिज्ञेयम्।नयाचमन असपिंउंजिनविप्रोनिहत्यधुवन्॥विशल्यनित्रिरात्रेणमा तुगतांश्वगंधवान्।यचन्नमतितेषांनुरशाहेनैवात्स्यति अनम्नन्नमन्हैवनचेत्तस्यगृहेवसेदिनि / नित्यान्यंप्रमानंदिवसमशचिकोऽथासवर्णतदुक्ताशोचोथानाथमाद्यक तुशतफलभागापूवेनेवरुध्येत्॥ अथासवर्णस्नेहवशान्नित्यनटुक्ताशोचःयज्जातीय स्पनिर्हणनस्मेतिमाशोचंपस्यस नथाहिजाह्मणश्वेच्छूट्रनिर्हरेत्तरामासमझाचगनथास्ट्रवेनवा // ह्मणंतरादशाहमिन्यादिशेयं ।एवमवरम्बेदर्ण:पूर्ववर्णमुपस्पशेपूर्वोनावरंनजतनछनोक्तमाशोचमिान]| For Private And Personal Use Only

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