Book Title: Trinshshloki
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Page 12
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir पिंकी। णाजानदंतमरणेमातापित्रोरपिसघशोचारिमाप्तोतदपवारमाह॥ ॥मातापित्रोस्कपत्रइत्यादिनामा! दशनेजानदंतेपरेनेमातापित्रोस्त्रिरात्रमेव // पालानामजानरंतानांत्र्यहाछुद्धिरितिकश्यपवचनात् / वैजिकादपिसंबंधादनुसंध्यादधन्यहमिनिस्मृत्यंतरान एतत्सर्वमानपानामतो किशनज ननतोहःपरेतइत्यादिनोतमा सन्निधौशिशुमरणेवेदिनयमित्याहा सन्निधौनष्टनेष्टइतिसन्निः घोसमापेनशचेष्टायस्येनिमृतदनियावत् ॥असन्निधौलुशिशमरणेतिकांताशोचमेतन्नभवतीनिक्षा चः॥ तदुक्तंच्याम्रपादमुनिना उपनीतेतुविषमंतस्मिन्नेनानिकालजमिनि॥३॥ ॥अथचतुर्थहन नवआद्यार्थपरस्पाययर्थ जन्मतउउनादेअपूर्णहिवर्षेअसंज्ञेगनसंज्ञेमृतदनियावनी ताजनिकरःपिताजननीमाना सोदराः वानरःएषादशाहाशोचमित्येकपक्षः गर्भप्रेतेमात दशाहं जानउभयोःकतेनाम्निसोदराणामितिग्यरचनाना पानरमाह॥यडेनि ॥अथवा-| For Private And Personal Use Only

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