Book Title: Trinshshloki
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir अथनवमंहतमाह॥ ॥शिष्येनि। एकदेशाध्यापकउपाध्यायः अनूनानोंगानांपवता ॥सगोत्रश्चनुर्दशपुरुषानंतरंसप्तपुरुषावसानःइतरस्पष्टम् // एनेषुशिष्यादिषप्रमानेषुएकरात्र / महोरात्रमाशीचमिलिशेषः॥तथास्वगृहपरमतोमातलेचेकरात्रम्तथासब्रह्मचारिणिचक राप्रमाएकाचार्योपनीतःसब्रह्मचारीनस्मिनगृतसतिरात्रिमहोरात्रमाशोचमिति // गुर्वनेवास्थ शिष्योपाध्यायबंधुत्रयगुरुतनयाचार्यभार्यासगोगनूचानःश्रोत्रियेषुस्व गृहपरमृतीमातुलेचेकरात्रम्॥ नूचानश्रोत्रियेषचेनि। याज्ञवल्क्यस्मरणात्म बंधुत्रयग्रहणेनात्मबंधकापिरसंबंधवोमारसंबंधवश्वोपगृत्यतेबंधुत्रयलक्षणंत्वित्थंगआ। त्मपितवसापुत्रा आत्ममातषसासना॥आत्ममातुलपुत्राश्वविज्ञेयाआत्मबांधवाः॥९॥ For Private And Personal Use Only

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