Book Title: Trinshshloki
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Page 29
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir रात्रिमाप्रावशिष्टेपूर्वाशीचेयद्याशोचानरसभिप केलाहपूर्वाशेषसमाप्यानंतरंगभ्यारात्रिन्यांशधि प्रभा पुनस्तस्यांगत्रे पश्चिमेयामेजननायाशोनांतरसन्निपाततिमिःवधि नपुनरत्तच्छेषमात्रेणरा शेषेसतिहापयांप्रभातेतिमृतिःस्मृततिगोतमवचनावपिनोविशेषमाह। नेवाशीचे नपित्र्यमितिमअन्याशौचमध्येपनियपियंमानपित्तसंबंधिआशोचंतत्पूर्वाशीचशेषेणनेवश हरायांतद्राविशेषेधिभिरपरदिनैमिनीयामशेषे / स्येत्॥पितुरुपरमेमातुर्वोपरमेतदशाहमेवाशद्धिरितिभावश तयोर्मात्रपितविरनिनिमित्तयो पर स्परंसन्निपातेपिनपूर्वशेषेणझद्धिःकिंतुमात्राशोचमध्यपतितस्यापिपित्राशौचस्यनसंकोचः॥ मातर्विशेपमाहापितुरुपशमनेपक्षिणीमातृमृत्यावित्तिापितुरुपशमनेपित्राशोचमध्येमातम For Private And Personal Use Only

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