Book Title: Trinshshloki
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Page 23
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir अधारमरत्नेमाह। पक्षिण्याशीनमिति॥ ॥ऋलिगादयोभागिनेयाताःप्रमिथाः तेषाप्रयाणे मृत्याचतियावत् // मातामत्यांचविरतायांपिनो स्वसरिमानुष्ठसरिपिलवसपिचविरतायामातुले चपिरतेमातुलायामातुलपल्यांचविरतायांपक्षिणीआशौचकारणम्॥अथोसज्योतिरिति।स्वविष यनपतोस्वदेशाधिपतोनष्टेमतेग्रामनाथेचनष्टेसज्योतिरेनकाल शखिहेतुः॥समा ज्योतिरादित्यो पक्षिण्याशीचमतिद्धहितसुत्तसहाध्यायिचंधुत्रयांतेवासिश्वश्रूसमित्रश्च शरभगिनिकाभागिनेयप्रयाणे॥ नक्षत्रंवायसिपनमज्योतिःज्योनिर्जनपदेतिसूत्रणसमानस्पसः॥दिनानष्टेयावत्सूर्यदर्शनंअशथि नक्षत्रदर्शनाछुद्धिः॥रात्रिनहेतुराव्यवसान पर्यतमेवाशत्तिःसूर्यदर्शनाछुद्धिरित्यर्थः॥अत्रयेषांपूर्वरत्नेत्रिरात्रमुक्तंतेषांपुनः पक्षिणीक For Private And Personal Use Only

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