Book Title: Trinshshloki
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir कि पचासनकालिनिन्दनाना एवंडालमियोपेगदशाहाद्याशील पवादमभिधायहयोव / स्थानिशेषादपित्तदपवादस्वतीययत्तेनाह ॥नामनःप्राकनामकरणापूर्वपरेने परनेचालेमानस्नान मानतन्निमित्तमाशोचमिति म पाकनामकरणासधःशौचमितिशरवस्पते नामकरणादूर्ध्वद शनजनननोरनजननादर्वाङ्गपरेनेप्रेनेअमिदग्येअहः॥ एकरात्रंहस्त्वदत्तकन्यागालेपच स्मानंपाङनामतोर्याग्दशनजननतोहःपरेनमिदेग्धे दग्धेत्ववापिसद्यः स्तदुपरिदिनमायब्दतौलशन्ये विशोधनभितियाज्ञवल्क्यः ॥अदग्धेत्तुसद्यः शाहःस्मानमात्रम्॥आरंतजन्मनःमद्यइतिवचनात् मनपरिदिनमात्र्यदत्तश्नोलशून्येनदुपरि दंतजननादूर्वयावचिनचूडाकरणरहिनेपरेनेदिनमेकरात्रंमआचोलान्नेशिकीस्तनिवननात्॥ For Private And Personal Use Only

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