Book Title: Tiloypannatti Part 3
Author(s): Vrushabhacharya, Chetanprakash Patni
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
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विषय
[ ५१] . गाथा पृ० सं०
गाथा/पृ० सं० प्रतिमाओं का अभिषेक, विलेपन
विजयदेव के नगर के बाहर स्थित और पूजा १०४१२८ वनखण्ड
२२५२ नत्य गान एवं नाटकादि के द्वारा
चैत्यवृक्ष
२३२११३ भक्तिप्रदर्शन
११४१३० अशोदेव के प्रासाद का वर्णन २३४।५३ हुण्डल पर्वत ११७३० स्वपम्प्रभ पर्वत
२४०१५ पर्वत पर स्थित कूटों का निरूपण १२०॥३१ १. क्षेत्रल ( २४३-२७९) मतान्तर से कुण्डलगिरि का निरूपण १२८३३ वृत्ताकार क्षेत्र का स्थूल क्षेत्रफल प्राप्त वचकवर द्वीप में रुचकावर पर्वत १४१३५ करने को मिषि पर्वत पर स्थित फूट और उनमें
द्वीप समुत्रों के बादर क्षेत्रफल का प्रमाण निवास करने वाली घेवांगनाएँ और
जपन्य परीतासंख्यात क्रम बासे दीप जन्माभिषेक में उनके कार्य
१४॥३६
या समुद्र का गादर क्षेत्रफल सिंहकूटों का अवस्थान
१६३६
स्वयम्भूरमण समुद्र का बादर क्षेत्रफल मतान्तर से सिक्कूटों का अवस्थान १६६४०
उन्नीस विकल्पों द्वारा द्वीप समुद्रों का मतान्तर से शपक गिरिवंत का निरूपण १६७।४०
अल्पबहस्व वित्तीय अम्यूठीप का प्रवस्थान १८०४३
इ. तिर्थच जीवों के भेव प्रभेट ( २८०-२८२) यहाँ विजय प्रादि देवों को नगरियों का
तिर्य स जीवों के भेद और अबस्थान और उनका विस्तार १८११४३
कुल ३४ भेद
२५२।१३९ नगरियों के प्राकारों का उत्सेध प्रादि १८३५४३
७ तिर्यों का प्रमाण (संध्या) पृ. १४० प्रत्येक दिशा में स्थित गोपुर द्वार १८५४४ तेजस्कायिक जीवराधि का उत्पादन विधान १४० नगरियों में स्थित भवन
१५६।४४ सामान्य पृथिवी, अल मौर वायुकायिक राजांगण का अवस्थान एवं प्रमाणादि १०८।४४ जीवों का प्रमाण राजोगण स्थित प्रासाद
१९४५ भावर और सूक्ष्म जीवराशियों का प्रमाण पूर्वोक्त प्रासाद को चारों दिशाओं में
धिवोकायिक भादि चारों को पर्याप्त स्थित प्रासाद
१९२१४५
अपर्याप्त जीवराशि का प्रमाण सुधर्म सभा की अवस्थिति और उसका
सामान्य वनस्पतिकायिक जीयों का प्रमाण १४६ विस्ताराधि
२०१।४७ साधारण ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ १५१ उपाद आदि छड़ सभाओं (भवनों)
साधारण बाबर वनस्पति का. और साधारण की अवस्थिति
२०३१४८ सक्ष्म वनस्पतिकायिक जीपों का प्रमाण विजवदेवके परिवार का भवस्थान व
साधारण बादर पर्याप्त-बपर्याप्त राशि प्रमाण २१६५० का प्रमाण
१५२
१४४
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