Book Title: Suryaprajnapti Chandraprajnapti
Author(s): Madhukarmuni, Kanhaiyalal Maharaj, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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[ सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र
अणियया आयाम-विक्खंभ-परिक्खेवेणं, आहितेति वदेजा, तत्थ णं को हेऊ ? त्ति वदेजा।
ता अयं णं जंबुद्दीवे दीवे सव्वदीव-समुदाणं सव्वब्भंतराए सव्वखुड्डागे वट्टे जाव जोयणसहस्समायाम-विक्खंभेणं, तिणि जोयणसयसहस्साइं, दोण्णि य सत्तावीसे जोयणसए, तिण्णि कोसे, अट्ठावीसं च धणुसयं, तेरस य अंगुलाई, अद्धंगुलं च किंचि विसेसाहिए परिक्खेवेणं पण्णत्ते,
१. ता जया णं सूरिए सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, तया णं सा मंडलवया अडयालीसं एगट्ठिभागे पोयणस्स बाहेल्लेणं, णवणउइ जोयणसहस्साई छच्च चत्ताले जोयणसयाई आयाम-विक्खंभेणं,
तिण्णि जोयणसयसहस्साइं पण्णरस जोयणसहस्साइं एगूणणउई जोयणाई किंचि विसेसाहिए परिक्खेवेणं,
तयाणं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहणिया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ।
२. से निक्खम्ममाणे सूरिए णवं संवच्छरं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि अब्भितराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ,
ता जया णं सूरिए अभिंतराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, तया णं सा मंडलवया अडयालीसं एगट्ठिभागे जोयणस्स बाहल्लेणं, .
णवणउई जोयणसहस्साइं छच्च पणयाले जोयणसए पणतीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स आयामविक्खंभेणं,
तिण्णि जोयणसयसहस्साइं पण्णरस जोयणसहस्साई एगं चउत्तरं जोयणसयं किंचि विसेसूणं
१. सूर्यप्रज्ञप्ति तथा जम्बूद्वीप्रप्रज्ञप्ति के सूत्रों में सूर्यमण्डल का आयाम-विष्कम्भ कहा गया है किन्तु समवायांग सूत्र में केवल विष्कम्भ ही कहा गया है। इसका समाधान यह है कि वृत्ताकार का आयाम-विष्कम्भ सदा समान होता है, सूर्यमण्डल वृत्ताकार है, अतः केवल विष्कम्भ कहने से आयाम और विष्कम्भ दोनों समझ लेने चाहिये।
सूर्यप्रज्ञप्ति में सूर्यमण्डल का बाहल्य एक योजन के इकसठ भागों में से अड़तालीस भाग जितना कहा गया है। जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति में सूर्यमण्डल का बाहल्य एक योजन के इकसठ भागों में से चौबीस भाग जितना कहा गया है। इन दो प्रकार के बाहल्य प्रमाणो में से कौन सा वास्तविक है, यह शोध का विषय है। सूर्यप्रज्ञप्ति में सूर्यमण्डल का आयाम-विष्कम्भ और परिधि बाह्याभ्यन्तर मण्डलों की अपेक्षा अनियत है, ऐसा लिखा है किन्तु जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति में सूर्यमण्डल का आयाम, विष्कम्भ और परिधि अनियत नहीं लिखी है।
जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति में सूर्यमण्डल का आयाम-विष्कम्भ और परिधि जो कही है वह आभ्यन्तर या बाह्यमण्डलों की है ? क्योंकि सूर्यप्रज्ञप्ति में कथित बाह्याभ्यन्तर मण्डलों के आयाम-विष्कम्भप्रमाणों में जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिकथित आयाम-विष्कम्भ परिधि का प्रमाण मिलता नहीं है।