Book Title: Suryaprajnapti Chandraprajnapti
Author(s): Madhukarmuni, Kanhaiyalal Maharaj, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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अठारहवाँ प्राभृत चंदाइच्चाइणं भूमिभागाओ उड्ढत्तं ८९. प. ता कहं ते उच्चत्ते आहितेति वदेजा ?
उ. तत्थ खलु इमाओ पणवीसं पडिवत्तिओ, पण्णत्ताओ, तंजहा -
तत्थेगे एवमाहंसु - १. तो एगं जोयणसहस्स सूरे उड्ढे उच्चत्तेणं, दिवड्ढं चंदे, एगे एवमासु।
एगे पुण एवमाहंसु - २. ता दो जोयणसहस्साई सूरे उड्ढं उच्चत्तेणं, अड्डातिजाई चंदे, एगे एवमाहंसु। ___ एगे पुण एवमाहंसु - ३. ता तिन्नि जोयणसहस्साई सूरे उड्ढं उच्चत्तेणं, अधुट्ठाई चंदे, एगे एवमाहंसु। ___ एगे पुण एवमाहंसु - ४. ता चत्तारि जोयणसहस्साइं सूरे उड्ढं उच्चत्तेणं, अद्धपंचमाई चंदे, एगे एवमाहंसु। ___एगे पुण एवमाहंसु - ५. ता पंच जोयणसहस्साइं सूरे उड्ढे उच्चत्तेणं, अद्धछट्ठाई चंदे, एगे एवमाहंसु।
एगे पुण एवमाहंसु - ६. ता छ जोयणसहस्साई सूरे उड्ढं उच्चत्तेणं, अद्धसत्तमाई चंदे, एगे एवमाहंसु।
एगे पुण एवमाहंसु - ७. ता सत्तजोयणसहस्साइं सूरे उड्ढं उच्चत्तेणं, अद्वट्ठमाइं चंदे, एगे एवमाहंसु। __एगे पुण एवमाहंसु - ८. ता अट्ठ जोयणसहस्साई सूरे उड्ढे उच्चत्तेणं, अद्धनवमाइं चंदे, एगे एवमाहंसु। ___ एगे पुण एवमाहंसु - ९. ता नवजोयणसहस्साइं सूरे उड्ढं उच्चत्तेणं, अद्धदसमाइं चंदे, एगे एवमाहंसु।
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