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परिशिष्ट ]
दसवें प्राभृत का २२ (बाइसवाँ ) प्राभृत-प्राभृत
सूत्र ६२
सीमाविष्कम्भ भाग
६३०
१००५
२०१०
३०१५
५६ (नक्षत्र के नाम दसवें प्राभृत के दूसरे प्राभृत - प्राभृत में देखें)
१ अहोरात्र के ६७ भाग की कल्पना करना चाहिये ।
नक्षत्र संख्या
२
अर्धक्षेत्र नक्षत्र १२
समक्षेत्र नक्षत्र ३०
द्व्यर्धक्षेत्र नक्षत्र १२
सूत्र ७२ : बारहवाँ प्राभृत
संवत्सरों का प्रमाण
हैं ।
संवत्सर पाँच प्रकार के कहे गये हैं।
-
६७ भागात्मक है।
[
१. नक्षत्र संवत्सर, २. चन्द्र संवत्सर, ३. ऋतु संवत्सर, ४. आदित्य संवत्सर, ५. अभिवर्धित संवत्सर । नक्षत्र मास में २७ दिवस २१ / ६७ मुहूर्त्त होते हैं। नक्षत्र मास ११९ मुहूर्त्त २७/
१. नक्षत्र संवत्सर
२२५
नक्षत्र का नाम
दो अभिजित
दो शतभाषा यावत् दो ज्येष्ठा
दो श्रवण यावत् दो पूर्वाषाढ़ा
दो उत्तराभाद्रपद यावत् दो उत्तराषाढ़ा
सूत्र ६२ समाप्त.
नक्षत्र संवत्सर के दिवस कितने ? - ३२७ दिवस ५१ / ६७ भाग होते हैं। नक्षत्र संवत्सर ९८३२ मुहूर्त्त ५५/६७ भागांत्मक है ।
१८३०x३० ६७
१ युग के ६७ नक्षत्र होते हैं ।
१ युग के १८३० दिवस होते हैं ।
नक्षत्र मास के दिवस ज्ञात करने के लिये १८३० को ६७ से भाग देने पर २७ दिवस २१ / ६७ भाग आते
=
नक्षत्र मास के मुहूर्त्त जानने के लिये १ दिवस के ३० मुहूर्त से नक्षत्र मास के दिवसों को गुणा करने पर मुहूर्तों की संख्या प्राप्त होगी -
५४९०० ६७
८१९ मुहूर्त्त २७/६७ भाग
नक्षत्र संवत्सर के दिवस ज्ञात करने के लिये नक्षत्रमास के दिवसों को १२ से गुणा करना चाहिये ।