Book Title: Suryaprajnapti Chandraprajnapti
Author(s): Madhukarmuni, Kanhaiyalal Maharaj, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 277
________________ २२६ ] [ सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र १८३०४१२ २१९६० - = ६७ ३२७ मुहूर्त ५१/६७ भाग ६७ . नक्षत्र संवत्सर के दिवस होते हैं। नक्षत्रसंवत्सर के मुहूर्त बनाने के लिये नक्षत्रसंवत्सर के दिवसों को ३० से गुणा करना चाहिये। ऐसा करने पर २१९६०४३०-६५८८००-९८३२ मुहूर्त ५६/६७ भाग नक्षत्र संवत्सर के मुहूर्त हैं। २. चन्द्रसंवत्सर चन्द्रमास के २९ दिवस ३२/६२ मुहूर्त हैं। चन्द्रमास ८८५ मुहूर्त ३०/६० भागात्मक है। चन्द्रसंवत्सर ३५४ दिवस १२/६२ मुहूर्तात्मक है। चन्द्रसंवत्सर १०६२५ मुहूर्त ५०/६२ भागात्मक है। १ युग के चन्द्रमास ६२ हैं। १ युग के दिवस १८३० हैं। १ चन्द्रमास के दिवस जानने के लिये १८३० को ६२ से भाग देना चाहिये। १८३० ६२ = २९ दिवस ३२/६२ मुहूर्त होते हैं। चन्द्रमास के मुहूर्त जानने के लिये चन्द्रमास के दिवसों की संख्या को ३० से गुणा करना चाहिये - १८३०४३० -५४९०० - ८८५ मुहूर्त ३०/६२ भाग होते हैं। ६२ चन्द्रसंवत्सर के दिवस जानने के लिये चन्द्रमास के दिवसों को १२ से गुणा करना चाहिये। १८३०x१२ - २१९६० - ३५४ दिवस १२/६२ मुहूर्तात्मक चन्द्रसंवत्सर होता है। ६७ ६७ चन्द्रसंवत्सर के मूहूर्त जानने के लिये वर्ष के दिवसों को ३० से गुणा करना चाहिये। २१९६०४३० - ६५८८०० - १०६२५ मुहूर्त ५०/६२ भाग होते हैं। ६२ २. ऋतुसंवत्सर १ युग के ऋतुमास ६१ हैं। १ ऋतुमास के दिवस ३० हैं। १ ऋतुमास के मुहूर्त ९०० हैं।

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