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परिशिष्ट ]
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लवणसमुद्र की निकटवर्ती जम्बूद्वीप तक की अंधकार संस्थिति की सर्वबाह्य बाहा
जम्बूद्वीप की परिधि के २ से गुणा कर १० से भाग देने पर सर्वबाह्य बाहा का परिमाण प्राप्त होता है। जम्बूद्वीप की परिधि ३१६२२८ योजन है। उसे २ से गुणा करने पर ६३२४५६ योजन होते हैं। जिन्हें १०६३२४५ योजन ६/१० भाग सर्वबाह्य बाहा का परिमाण होता है।
अन्धकार संस्थिति की लम्बाई तापमान की लम्बाई जितना जाननी चाहिये।
सर्वाभ्यन्तरमंडल में जो तापमान की स्थिति है वह सर्वबाह्य मंडल में अन्धकार की स्थिति जानना चाहिये।
सर्वाभ्यन्तरमंडल में जो अन्धकार की स्थिति है वह सर्वबाह्यमंडल में ताप की स्थिति जानना चाहिये। अर्थात् सर्वबाह्यमंडल में तापमान की आभ्यान्तर बाहा ६३२४ योजन ६/१० भाग है। सर्वबाह्य बाहा ६३२४५ योजन ६/१० भाग है । तापमान की लम्बाई ७८३३३.३३३ योजन है।
अन्धकार की संस्थिति सर्वबाह्य मंडल में आभ्यान्तर बाहा ९४८६ योजन ९/१० भाग है। शेष बाहा ९४८६८ योजन ४/१० भाग है। अन्धकार संस्थिति की लम्बाई ७८३३३.३३३ योजन है। - सूत्र २५ समाप्त
॥ चतुर्थ प्राभृत समाप्त ॥ सूत्र ३३ दसवें प्राभृत का दूसरा प्राभृत-प्राभृत
___ अहोरात्र के ६७ भाग की कल्पना करना चाहिये। अहोरात्र के ६७ भाग नक्षत्र संख्या चन्द्र के साथ
नक्षत्रनाम में से भाग संख्या
योग मुहूर्त ९ मु. २७/६७
अभिजित ३३ भाग १/२
१५ मु. शतभिषा, भरणी, आद्रा, अश्लेषा
स्वाति, ज्येष्ठा ६७ १५ ३० मु. श्रवण, धनिष्ठा, पूर्वा, भा० रेवती,
अश्विनी, कृतिका मृगशिर, पुष्य, मघा, पू० फा० हस्त, चित्रा,
अनुराधा, मूल, पूर्वाषाढ़ा १०० भाग १/२
४५ मु. उ० भा० रोहिणी पुन० उ. फा.
विशाखा, उत्तराषाढ़ा०