Book Title: Suryaprajnapti Chandraprajnapti
Author(s): Madhukarmuni, Kanhaiyalal Maharaj, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 228
________________ अठारहवाँ प्राभृत ] [ १७७ ख. तत्थ णं जे से णिव्वाघाइमे से णं जहण्णेणं पंच घणुसयाई, उक्कोसेणं अद्धजोयणं तारारूवस्स य तारारूवस्स य अबाहाए अंतरे पण्णत्ते। चंदस्स अग्गमहिसीओ देवीपरिवारविउव्वणा य प. ता चंदस्स णं जोइसिंदस्स जोइसरण्णो कइ अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ ? उ. ता चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, तंजहा - १. चंदप्पभा, २. दोसिणाभा, ३. अच्चिमाली, ४. पभंकरा। तत्थ णं एगमेगाए देवीए चत्तारि देवीसाहस्सीपरिवारो पण्णत्तो। प. पभू णं ताओ एगमेगा देवी अण्णाइं चत्तारि चत्तारि देवीसहस्साइं परिवार विउव्वित्तए ? उ. पभू णं ताओ एगमेगा देवी देवीसाहस्सीपरिवारं विउव्वित्तए। एवामेव सपुव्वावरेणं सोलसदेवीसहस्सा पण्णत्ता, से त्तं तुडिए। प. ता पभू णं चंदे जोइसिंदे जोइसराया चंदवडिंसए विमाणे सभाए सुहम्माए तुडिएणं सद्धिं ___ दिव्वाइं भोगभोगाई भुंजमाणे विहरित्तए? उ. णो इणढे समठे। प. ता कहं ते णो पभू जोइसिंदे जोइसराया चंदवडिंसए विमाणे सभाए सुहम्माए तुडिएणं सद्धिं दिव्वाइं भोगभोगाई भुंजमाणे विहरित्तए ? उ. क. ता चंदस्स णं जोइसिंदस्स जोइसरण्णो चंदवडिंसए विमाणे सभाए सुहम्माए माणवएसु चेइयखंभेसु वइरामएसु गोलवट्टसमुग्गएसु बहवे जिणसकहाओ संणिक्खित्ताओ चिट्ठति। ताओ णं चंदस्स जोइसिंदस्स जोइसरण्णो अण्णेसिं च बहूणं जोइसियाणं देवाण य, देवीण य अच्चणिज्जाओ वंदणिजाओ पूयणिज्जाओ सक्कारणिज्जाओ सम्माणणिजाओ, कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पजुवासणिजाओ। एवं खलु णो पभू चंदे जोइसिंदे जोइसराया चंदवडिंसए विमाणे सभाए सुहम्माए तुडिएण सद्धिं दिव्वाइं भोगभोगाई भुंजमाणे विहरित्तए। ख. पभू णं चंदे जोइसिंदे जोइसराया चंदवडिंसए विमाणे सभाए सुहम्माए चंदंसि सीहासणंसि चाहिं सामाणियसाहस्सीहि, चउहिं, अग्गमहिसीहिं सपरिवाराहिं, तिहिं परिसाहिं, सत्तहिं अणिएहिं, सत्तहिं अणियाहिवईहिं, सोलसहिं आयरक्ख-देव-साहस्सीहिं, अण्णेहि य बहूहिं जोइसिएहिं देवेहिं १. जंबु. वक्ख. ७, सु. १७१

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