Book Title: Suryaprajnapti Chandraprajnapti
Author(s): Madhukarmuni, Kanhaiyalal Maharaj, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 239
________________ १८८ ] [ सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र ४ उ. ता तिण्णि सहस्सा छच्च छण्णउया णक्खत्तसया जोगं जोईसु वा जोएंति वा, जोइस्संति वा। ___ ५ उ. ता अट्ठासीई सयसहस्साइं चत्तालीसं च सहस्सा सत्त य सया तारागणकोडिकोडीणं सोभं सोभेसु वा, सोभंति वा, सोभिस्संति वा। गाहाओ - बत्तीसं चंदसयं, बत्तीसं चेव सूरियाण सरां। सयलं माणुसलोयं चरंति एए पभासेंता॥ एक्कारस य सहस्सा, छप्पिय सोला महग्गहाणं तु। छच्च सया छण्णउया णक्खत्ता तिण्णि य सहस्सा॥ अट्ठासीइ चत्ताइं, सय सहस्साई मणुयलोगंमि। सत्त य सया अणूणा, तारागणकोडिकोडीणं॥ एसो तारापिंडो, सव्वसमासेण मणुयलोगंमि। बहिया पुण ताराओ, जिणेहिं भणिया असंखेजा॥ एवइयं तारगं, जं भणियं माणुसंसि लोगंमि। चारं कलंबुया-पुप्फसंठियं जोइसं चरइ॥ रवि ससि गह णक्खत्ता, एवइया आहिया मणुयलोए। जेसिंणामागोत्तं, न पागया, पण्णवेहिति॥ जोइसियाणं पिडगाई - छावढेि पिडगाई, चंदाइच्चाण मणुयलोगंमि। दो चंदा दो सूरा, य हुंति एक्केकए पिडए॥ छावट्टि पिडगाई, महागहाणं मणुयलोगंमि। छावत्तरं गहसयं, होइ एक्केकए पिडए॥ छावढेि पिडगाई णक्खत्ताणं तु मणुयलोगंमि। छप्पण्णं णक्खत्ता हुंति एक्केक्कए पिडए॥

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