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[ सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र
दूसरे मंडल की परिधि में १८ योजन मिलाने पर तीसरे मंडल की परिधि आती है।
इस प्रकार प्रत्येक मंडल की परिधि ज्ञात की जा सकती है।
प्रत्येक मंडल में सूर्य की एक मुहूर्त में कितनी गतिवृद्धि होती है, यह जानने के लिये इस सूत्र का उपयोग करना चाहिये -
प्रत्येक मंडल में परिधि की वृद्धि / ६० मुहूर्त।
प्रत्येक मंडल में १८ योजन परिधि में वृद्धि होती है। उसे ६० मुहूर्त से भाग देने पर १ मुहूर्त में होने वाली गतिवृद्धि प्राप्त होगी।
१८ योजन प्रत्येक मंडल की परिधि में होने वाली वृद्धि /६० मुहूर्त =१८/६० योजन मुहूर्त में गति में वृद्धि होती है। सूर्य के दृष्टिपथ क्षेत्र का अंतर ज्ञात करने की विधि
उस-उस मंडल में विद्यमान सूर्य दृष्टिपथ के क्षेत्र का अंतर ज्ञात करने के लिये निम्नलिखित सूत्र का उपयोग करना चाहिये -
सूर्य की उस-उस मंडल में एक मुहूर्त की गति ४ दिनमान का अर्धभाग।
सर्वाभ्यंतर मंडल में सूर्य के दृष्टिपथ क्षेत्र का प्रमाण ४७२६३ योजन २१/६० भाग है । उसको जानने के लिये उपर्युक्त सूत्र का उपयोग करने पर - ५२५१ योजन २९/६० भाग।
(सर्वाभ्यतरमंडल में सूर्य की एक मुहूर्त की गति) x ९ मुहूर्त (दिनमान का अर्धभाग) _ ३१५०८९४९
२८३५८०१ ६० = ४७२६३ योजन २१/६० भाग सर्वाभ्यंतर मंडल में सूर्य का दृष्टिपथ क्षेत्र है। सर्वाभ्यंतर मंडल में सूर्य का दृष्टिपथ क्षेत्रप्रमाण जानने की दूसरी विधि
उस-उस मंडल की परिधि दिनमान का अर्धभाग
६०
उस-उस मंडल की परिधि दिनमान का अर्धभाग
६०
३१५०८९४९
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